Mata Mundeshwari Temple : बिहार की अपनी एक भव्य संस्कृति और शानदार इतिहास है। इस प्रदेश में कई धार्मिक मान्यताओं वाले मंदिर और धर्मस्थान मौजूद हैं जो भक्तो के लिए बड़ी आस्था का केंद्र हैं। ऐसा ही एक मंदिर बिहार के कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर बना मां मुंडेश्वरी का मंदिर है। ये मंदिर बहुत ही चमत्कारिक है। यहा बहुत ही अनोखे तरीके से बकरे की बलि दी जाती है। यहां आने वाले भक्त अपनी मुरादों को लेकर माता के दर्शन करते हैं और मान्यता है कि मां अपने हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करती है।
माता की मूर्ति ऐसी भव्य है जिस पर नजर अधिक देर तक नहीं टिक सकती है। मां मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां पशु बलि की परंपरा तो है और बलि के लिए बकरा भी लाया जाता है, लेकिन उसके प्राण नहीं लिए जाते। दरसलल, जब बकरे को माता के सामने लाया जाता है तो पुजारी जी मां की मूर्ति को स्पर्श कर कुछ चावल बकरे पर फेंक देते है जिससे बकरा बेहोश हो जाता है। फिर थोड़ी देर के बाद उसपर अक्षत फेंकने की प्रक्रिया होती है तो बकरा उठ जाता है। इसी तरह बलि की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
ऐतिहासिक कथा कथाओं के अनुसार जहां ये मंदिर बना है उस जगह पर मां ने चण्ड-मुण्ड नाम के असुरों का वध किया था। इसलिए ही ये माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर की एक रहस्यमयी बात ये भी है कि यहां भगवान शिव का एक पंचमुखी शिवलिंग है जो दिन में तीन बार रंग बदलता है। शिवलिंग का रंग क्यों और कैसे बदलता है औृर इसके पीछे क्या कारण है, इन सवालो का जवाब आजतक कोई नहीं दे पाया है।