गाजियाबाद से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां बदमाशों को अपनी ही संपत्ति पर कब्जा करने से रोकने के लिए तीन साल से जिला प्रशासन के चक्कर लगा रहे बुजुर्ग किसान सुशील कुमार ने अपने हाथ की नसें काट ली। इस मामले ने प्रशासन की बड़ी नाकामी को दर्शाता है। डिडोली टोला के 65 वर्षीय किसान सुशील त्यागी ने तीन साल तक जिला सरकार के चक्कर लगाने के बाद हताशा में अपनी कलाइयां काट ली उसके बाद आनन-फानन में उसे इलाज के लिए मेरठ के अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि उन्हें कथित तौर पर दौरा पड़ा था और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि किसान सुशील त्यागी के टोले में 250 गज लंबी पारिवारिक संपत्ति पर आसपास के निवासियों ने कब्जा कर लिया है। सुशील किसान, संपत्ति का सर्वेक्षण करना चाहता था। इस कारण उसने इतना बड़ा कदम उठा लिया। यह सब शनिवार को मोदीनगर में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान हुआ।
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परिजनों ने लगाए अधिकारियों पर आरोप
मृतक के परिजनों का दावा है कि स्थानीय मुनीम द्वारा जानबूझकर एक झूठी रिपोर्ट पोस्ट की गई थी, जिससे न्याय नहीं हो सका। जनसभा पोर्टल पर मामले के निस्तारण का संकेत दिया गया, लेकिन वास्तव में कुछ नहीं हुआ। किसान सुशील कुमार के गुजर जाने की खबर सुनकर अधिकारियों ने तेजी से जमीन की फाइल वापस ले ली और जैसे ही वे घटनास्थल पर पहुंचे और लीपापोती करने लगे, उन्होंने हर संभव प्रयास किया ताकि अधिकारी प्रशासन को गुमराह कर सके। लेकिन अंत में जांच के बाद पता चला कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसान की मौत हुई है। दरअसल, बुजुर्ग की तहसील के बार- बार चक्कर लगाने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। हाल में सुशील त्यागी मुजफ्फरनगर की इंद्रा कॉलोनी में रहता था । उसकी गाजियाबाद अंतर्गत मोदीनगर तहसील क्षेत्र के गांव डिडौली में उनकी पुश्तैनी जमीन थी। जिसका खसरा नंबर- 336, 386 और 510 है। सुशील त्यागी का कहना था कि दस्तावेजों में इन तीनों खसरा नंबर पर जितनी जमीन दर्शाई गई है वो उसकी है।
वहीं सुशील की मृत्यु के बाद जांच पड़ताल की गई और इस मामले के दोषी लेखपाल राजन प्रियदर्शी को सस्पेंड कर दिया गया। इस केस में जिलाधिकारी एडीएम ऋतु सुहास के नेतृत्व में एक टीम का गठन करके जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी।