Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी का पर्व शुरु हो चुका है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और 10 दिन बाद भक्त अपने घरों में विराजमान गणपति जी का विसर्जन करते हैं। यह पर्व देशभर में पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। खासकर ये पर्व महाराष्ट्र में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी-विवाह, लगन-प्रसंग आदि को करने से पहले भगवान गणेश जी का ही स्मरण किया जाता है, उसके बाद बाकी देवी देवताओं की उपासना और शुभ, मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी को लेकर मान्यता
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने से या घर में भगवान गणपति की स्थापना करने से उस घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ वे अपने भक्तों के सारे कष्ट- विघ्न संकट दूर कर देते है। गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। इस पर्व की समाप्ति 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी पर होगी। गणेश चतुर्थी पर बप्पा के आगमन पर सभी लोग एक दूसरे को इस पर्व की बधाई देते हैं।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी की तिथि 18 सितंबर 2023 दोपहर 12:39 बजे से शुरू हो गई है और यह चतुर्थी अगले दिन 19 सितंबर 2023 की दोपहर 1:43 पर समाप्त होगी। गणेशोत्सव के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर के दिन सुबह 10:50 से दोपहर 12:52 तक है। कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी की सुबह 11:07 से लेकर 1:34 तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
1. व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
2. चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
3. गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें। सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
5. ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
7. गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।
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