Chhath Puja के मौके पर देशभर से बिहार और झारखंड जाने वाली फ्लाइटों के किराए इस कदर बढ़ गए हैं कि इनकी तुलना दुबई, मलेशिया, बैंकॉक, और सिंगापुर जैसे अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों से होने लगी है। दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, बेंगलुरु और हैदराबाद से पटना और दरभंगा जैसे शहरों के लिए हवाई यात्रा अब कई लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। ट्रेवल एजेंट्स के अनुसार, त्योहार के सीजन में एयर फेयर हर साल महंगा होता है, लेकिन इस बार कुछ मार्गों पर यह बढ़ोतरी सामान्य से अधिक हो गई है।
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Toggleघरेलू फ्लाइटों का किराया अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से महंगा
छठ पूजा के लिए बिहार और झारखंड जाने वाले यात्रियों की संख्या में तीव्र वृद्धि होती है। इस बढ़ती मांग का परिणाम यह हुआ है कि इन मार्गों पर फ्लाइट के किराए आसमान छूने लगे हैं। उदाहरण के लिए, सूरत से पटना के बीच का किराया 4 अक्टूबर से 6 अक्टूबर के बीच 13,000 से 20,000 रुपये तक पहुंच गया, जो सामान्य किराए से कई गुना अधिक है। वहीं दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और अन्य शहरों से पटना और दरभंगा का किराया भी 13,000 से 18,000 रुपये के बीच देखा गया।
दिलचस्प बात यह है कि 4 से 8 अक्टूबर के बीच दिल्ली से दुबई, मलेशिया, बैंकॉक और सिंगापुर जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्थलों का एयर फेयर करीब 10,000 से 20,000 रुपये के बीच है, जो इन दिनों पटना और दरभंगा जाने के किराए से कम है। इसका मतलब है कि बिहार और झारखंड की घरेलू यात्रा अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से महंगी हो गई है। हालांकि, 6 अक्टूबर के बाद से छठ खत्म होते ही यही फ्लाइट्स आधे से भी कम किराए में उपलब्ध होने लगेंगी, जिससे साफ होता है कि यह मूल्य वृद्धि केवल त्योहारों के सीजन तक सीमित है।
यात्रियों की बढ़ती परेशानी
त्योहारों के सीजन में यात्रियों के लिए यात्रा की योजना बनाना एक कठिन चुनौती बन जाता है। जब रेलवे में कन्फर्म टिकट नहीं मिलता है, तो लोग मजबूरी में फ्लाइट का रुख करते हैं। लेकिन फ्लाइट्स के महंगे किराए उनके लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ बन जाते हैं। टिकट एजेंटों के अनुसार, फ्लाइट्स के महंगे होने के बावजूद आसानी से बुकिंग नहीं मिल रही है। ट्रेन में एजेंट को अतिरिक्त पैसे देने के बावजूद कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल है।
यात्री सड़क मार्ग का कर रहे हैं रुख
अत्यधिक महंगे किराए और ट्रेनों में सीटों की कमी के कारण कुछ यात्री सड़क मार्ग से बिहार और झारखंड की यात्रा करने का निर्णय ले रहे हैं। हालांकि सड़क मार्ग यात्रा में समय अधिक लगता है, लेकिन टिकट बुकिंग की परेशानी और खर्च के मुकाबले यह उनके लिए अधिक सुविधाजनक लगने लगा है।
बढ़ते किराए पर कैसे लगे अंकुश?
त्योहारों के मौसम में यात्रियों की बढ़ती संख्या और एयर फेयर में अप्रत्याशित वृद्धि एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसे रोकने के लिए केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय और एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। एयरलाइंस को केवल चेतावनी देकर नहीं, बल्कि ठोस नीतियों द्वारा किराए पर नियंत्रण किया जा सकता है।
हालांकि, मौजूदा पॉलिसी के तहत किराए पर सीधा नियंत्रण सरकार के हाथ में नहीं है, लेकिन कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। जैसे, होली, दिवाली और छठ जैसे त्योहारों के समय में फ्लाइट्स की मांग को देखते हुए अतिरिक्त उड़ानों का संचालन किया जा सकता है। इससे किराए में असामान्य वृद्धि को कम करने में मदद मिलेगी और यात्रियों को कुछ राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, किराए में वृद्धि पर सख्त नियम लागू किए जा सकते हैं ताकि त्योहारों के समय में भी लोग अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकें।
सरकार की पहल और दिशा
छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर यातायात की समस्याओं को हल करने के लिए सरकार को नीतिगत उपाय करने होंगे। यात्रियों की मदद के लिए रेल और सड़क मार्ग में भी अतिरिक्त सेवाएं शुरू की जा सकती हैं।
त्योहारों के सीजन में यात्रियों की सुविधा के लिए केवल एयरलाइंस की नहीं बल्कि पूरी परिवहन व्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक है। इससे सभी लोग अपने घर पहुंचकर त्योहार को आसानी से मना सकेंगे और किराए में अत्यधिक वृद्धि से भी राहत मिलेगी।