Friday, November 22, 2024
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Farmers Protest: एक हफ्ते में खुलेगा शंभू बॉर्डर, किसानों ने अदालत के फैसले का किया सम्मान

Farmers Protest : शंभू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आधारित यह मामला एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जो कई महीनों से पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर तनाव का कारण बना हुआ है। इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें उसने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने का आदेश दिया।

शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन कब और क्यों शुरू हुआ था

किसानों का यह आंदोलन 13 फरवरी 2024 से शुरू हुआ, जब किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने विरोध को जारी रखने के लिए शंभू बॉर्डर पर धरना शुरू किया। यह आंदोलन केवल कानूनों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि किसानों की अन्य मांगों को लेकर भी है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और बिजली संशोधन बिल जैसे मुद्दे शामिल हैं। शंभू बॉर्डर पर किसानों के इस धरने ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को बाधित कर दिया है, जिससे आम नागरिकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राजमार्ग को फिर से खोला जाये  | Farmers Protest 

12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों को शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया। अदालत ने पंजाब और हरियाणा के प्रमुखों को पटियाला और अंबाला जिलों के एसपी और DSP के साथ बैठक कर, एक सप्ताह के भीतर इस राजमार्ग को फिर से खोलने के लिए निर्देशित किया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि नेशनल हाईवे पार्किंग की जगह नहीं है और इसे हमेशा खुला रखा जाना चाहिए ताकि आपातकालीन सेवाओं और आम नागरिकों को सुविधा हो सके।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि शंभू सीमा पर सड़क को आंशिक रूप से खोलना एंबुलेंस, आवश्यक सेवाओं, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, छात्राओं और स्थानीय यात्रियों की आवाजाही के लिए अत्यावश्यक है। अदालत ने कहा कि यह सभी के लिए महत्वपूर्ण है कि सड़कें खुली रहें, खासकर जब यह राष्ट्रीय राजमार्ग हो, जो देश की अर्थव्यवस्था और जनजीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

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किसान नेताओं की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, किसान नेताओं ने इसे सकारात्मक रूप से लिया। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, “शंभू बॉर्डर का खुलना सबके लिए अच्छी बात है। इससे आम लोगों को बहुत फायदा होगा। शंभू बॉर्डर खुलेगा तो हम भी दिल्ली जाएंगे।”

किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और कहा कि वे अब इस मुद्दे पर बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली जाने को लेकर फैसला किसान संगठन बैठक के बाद करेंगे।

अदालत के आदेश की प्रमुख बातें

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं:

राजमार्ग का महत्व: अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पार्किंग की जगह नहीं है और इसे हमेशा खुला रहना चाहिए। अदालत ने कहा कि किसानों को अपने ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को सड़क से हटाने के लिए राजी किया जाना चाहिए।

आवश्यक सेवाओं के लिए सड़क को खोलने का आदेश: अदालत ने कहा कि एंबुलेंस, आवश्यक सेवाओं, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, छात्राओं और स्थानीय यात्रियों की आवाजाही के लिए सड़क को आंशिक रूप से खोलना जरूरी है। इससे इन सेवाओं में बाधा नहीं आनी चाहिए।

समिति का गठन: अदालत ने पंजाब और हरियाणा के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे गैर-राजनीतिक लोगों को शामिल करते हुए एक समिति गठित करें। यह समिति प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत करेगी और राजमार्ग को खोलने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका: अदालत ने पंजाब और हरियाणा के प्रशासन को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर इस आदेश को लागू करें और सुनिश्चित करें कि सड़क यातायात के लिए खुली रहे।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल शंभू बॉर्डर के लिए ही नहीं, बल्कि देश भर में चल रहे किसान आंदोलनों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों को बंद रखना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है, चाहे वह कितना भी महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों न हो।

इस आदेश के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किसान संगठन किस तरह से अपनी रणनीति में बदलाव करते हैं और सरकार के साथ किस तरह की बातचीत होती है। किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि उनकी मांगें अभी भी बरकरार हैं और वे इसके लिए आंदोलन जारी रख सकते हैं।

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