Faridabad NIT Seat: हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसके साथ ही राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। इस बार का चुनाव खासा रोचक होने वाला है, खासकर फरीदाबाद की एनआईटी सीट पर। इस सीट से कई दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हैं, लेकिन चर्चा का विषय बना हुआ है बिट्टू बजरंगी का नामांकन। गौरक्षा के नाम पर विख्यात और नूंह हिंसा के आरोपी बिट्टू बजरंगी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट से अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है।
बिट्टू बजरंगी और उनका विवादों से नाता
बिट्टू बजरंगी, जिन्हें उनके गौरक्षक अभियान के लिए जाना जाता है, विवादों से पुराना नाता रखते हैं। उनका नाम पिछले साल हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा से जोड़ा गया था, जो जुलाई 2023 में भड़क उठी थी। उस हिंसा में कई लोगों की जान गई और बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ। इस मामले में बिट्टू बजरंगी को आरोपी बनाया गया, जिससे उनकी छवि विवादों में घिर गई।
हालांकि, बजरंगी ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया और इसे राजनीतिक साजिश बताया। उनका दावा है कि उनका उद्देश्य हमेशा से गायों की सुरक्षा करना रहा है, और इसके लिए वह लड़ते रहेंगे। बजरंगी ने राजनीति में कदम रखते हुए कहा कि वह जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, न कि केवल अपनी व्यक्तिगत छवि को सुधारने के लिए।
फरीदाबाद एनआईटी सीट का चुनावी इतिहास | Faridabad NIT Seat
फरीदाबाद की एनआईटी विधानसभा सीट हमेशा से ही हरियाणा की राजनीति में अहम भूमिका निभाती आई है। इस सीट से 2009 में पंडित शिवचरण लाल शर्मा निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बने थे और बाद में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री भी रहे। उनके निधन के बाद उनके बेटे नीरज शर्मा ने उनके राजनीतिक विरासत को संभाला और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के नगेंद्र भड़ाना को हराकर विधायक बने।
2014 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर इनेलो के नागेंद्र भड़ाना ने जीत हासिल की थी, और उन्होंने 45,740 मतों से चुनाव जीता था। पंडित शिवचरण लाल शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे, और जीत का अंतर मात्र 2,914 वोटों का था। इससे यह साफ है कि यह सीट हमेशा से कड़ा मुकाबला देखती आई है, और इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।
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मौजूदा स्थिति और प्रमुख उम्मीदवार | Faridabad NIT Seat
इस बार फरीदाबाद एनआईटी सीट पर कुल 309068 मतदाता अपना विधायक चुनेंगे। इनमें 171279 पुरुष मतदाता और 137468 महिला मतदाता हैं। कांग्रेस ने फिर से मौजूदा विधायक नीरज शर्मा को टिकट दिया है, जो अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। नीरज शर्मा का जनता के बीच अच्छा प्रभाव है, खासकर उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के कारण।
वहीं, बीजेपी की ओर से अभी तक कोई प्रमुख उम्मीदवार सामने नहीं आया है, लेकिन पार्टी का यहां पर मजबूत आधार है। इनेलो और अन्य छोटी पार्टियों के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं, जो किसी भी वक्त समीकरण बदल सकते हैं। बिट्टू बजरंगी का निर्दलीय चुनाव लड़ना भी इस चुनाव को रोचक बना रहा है, क्योंकि उनका समर्थन भी कुछ वर्गों में मजबूत है, खासकर उन लोगों के बीच जो गौरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता देते हैं।
बिट्टू बजरंगी की उम्मीदें
बिट्टू बजरंगी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जो अपने आप में एक साहसिक कदम है। उनका मानना है कि वह जनता के मुद्दों को सुलझाने में सक्षम हैं, और अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह एनआईटी फरीदाबाद के विकास के लिए काम करेंगे। उनका दावा है कि वह राजनीति में केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि समाज की सेवा करने के उद्देश्य से आए हैं।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि बजरंगी अपनी छवि और विवादों को कैसे संभालते हैं। नूंह हिंसा के आरोप अभी भी उनके खिलाफ हैं, और विपक्षी दल इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके बावजूद, बिट्टू बजरंगी का चुनावी प्रचार जोर-शोर से चल रहा है, और उनके समर्थक उन्हें एक ईमानदार और साहसी नेता के रूप में पेश कर रहे हैं।
चुनावी मुकाबले की संभावना
फरीदाबाद एनआईटी सीट पर इस बार का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस के नीरज शर्मा, इनेलो के संभावित उम्मीदवार और निर्दलीय बिट्टू बजरंगी के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। जनता के बीच नीरज शर्मा का प्रभाव और उनके द्वारा किए गए विकास कार्य उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं, लेकिन बिट्टू बजरंगी का चुनावी अभियान भी तेजी से बढ़ रहा है।
बजरंगी का गौरक्षा अभियान और उनके समर्थकों का समर्थन उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है। हालांकि, उनके खिलाफ लगे नूंह हिंसा के आरोप उनकी छवि को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि पार्टी के समर्थन के बिना चुनावी मशीनरी को संचालित करना आसान नहीं होता।
फरीदाबाद एनआईटी सीट का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। बिट्टू बजरंगी के चुनाव मैदान में उतरने से यह मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है। जहां एक ओर कांग्रेस के नीरज शर्मा अपनी छवि और विकास कार्यों के आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिट्टू बजरंगी अपनी गौरक्षक छवि और विवादों से घिरी राजनीति के साथ जनता के बीच अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस चुनावी संघर्ष में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे चुनती है। क्या जनता नीरज शर्मा पर भरोसा जताएगी, या फिर बिट्टू बजरंगी को एक नया मौका देगी? यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों में साफ होगा, लेकिन फिलहाल एनआईटी फरीदाबाद की सीट पर सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है।