तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले के मामले में फर्जी ट्वीट करने को लेकर बीजेपी नेता प्रशांत उमराव मुश्किलों में घिर गए। हालांकि अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कोर्ट ने प्रशांत उमराव की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अदालत ने तमिलनाडु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में उनके खिलाफ दर्ज किसी भी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के संबंध में अग्रिम जमानत दे दी। हालांकि इस दौरान यूपी बीजेपी प्रवक्ता प्रशांत उमराव को सुप्रीम कोर्ट ने ये नसीह भीदी कि इस तरह के ट्वीट करने से पहले उमराव को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए।
बीजेपी नेता को मिली राहत
जस्टिस बीआर गवई और पंकज मित्तल की पीठ के सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को संशोधित किया जिसमें पूर्व में मामले से केवल कुछ प्राथमिकी में ही प्रशांत उमराव को अग्रिम जमानत दी गई थी। प्रशांत उमराव पर हिंदी बोलने के लिए प्रवासी श्रमिकों की मौत के बारे में झूठी सूचना फैलाने का आरोप लगाया गया था। हाल ही में, उन्होंने अपने खिलाफ कई जगहों पर दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत उमराव के खिलाफ एक ही मामले में जांच चलेगी और एक केस की अग्रिम जमानत सभी मामलों में लागू रहेगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत की शर्त को भी संशोधित किया जिसमें अगले 15 दिनों तक प्रतिदिन पूछताछ के लिए पुलिस थाने में उनकी उपस्थिति अनिवार्य थी। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि एक वकील होने नाते उन्हें और जवाबदेह होना चाहिए। वहीं कोर्ट ने वकील प्रशांत उमराव को ट्वीट करने के लिए बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया।
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प्रशांत उमराव के खिलाफ मामला
भाजपा के एक नेता प्रशांत उमराव ने हाल ही में तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी कामगारों के खिलाफ हमलों के बारे में झूठी सूचना फैलाने के आरोप में विभिन्न पुलिस थानों में उनके खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को क्लब करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। मामला मार्च के महीने में दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है, जब तमिलनाडु पुलिस ने क्षेत्र और भाषा के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उमराव के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगे के लिए उकसाना), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया है।
दरअसल, बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के लोगों को निशाना बनाने और उन पर कथित हमले के मामले चर्चाओं में आए थे। इस दौरान प्रशांत उमराव ने कई ट्वीट करने और बाद में बिना किसी स्पष्टीकरण के उन्हें हटाने का दावा किया गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की एक तस्वीर साझा करते हुए BJP नेता प्रशांत उमराव ने एक ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था किबिहार के 12 प्रवासियों को हिंदी में बोलने के लिए तमिलनाडु में लटका दया गया था। उमराव वर्तमान में विस्तारित अग्रिम जमानत पर है और जहां पहले उमराव ट्रांजिट अग्रिम जमानत लेने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय गए थे।
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