मछलियों की भी पूंछ होती है, जो मछली को जल में आगे धकेलने में अहम रोल निभाती है। इसके अलावा मगरमच्छ, व्हेल जैसी बड़ी मछलियों की पूंछ भी उनके बैलेंस, मूवमेंट और तैरने में मददगार होती है। मेढ़क और टोड की भी लार्वा अवस्था में पूंछ होती है, हालांकि जैसे-जैसे वो बड़े होते जाते हैं, उनकी पूंछ लुप्त होती जाती है। रेंगने वाले सभी प्राणियों में भी पूंछ होती है, जो उन्हें चलने, उछलने और दुश्मनों से अपनी सुरक्षा में मदद करती हैं। सांप की पूंछ, उन्हें तैरने में मदद करती है व समुद्री सांपों की पूंछ तो, उन्हें चप्पु की तरह मदद करती है।चिड़ियों की पूंछ बहुत छोटी होती है, जो उनके परों की आधार पर उड़ने में मदद करती है।
इस वजह से नहीं होती मनुष्य की पूंछ
माना जाता है कि, जब पृथ्वी का विकास हुआ था तब मनुष्य की पूंछ हुआ करती थी लेकिन समय के साथ जब इंसानो ने पेड़ों पर ज्यादा चढ़ना, कूदना कम कर दिया तो वो अपने आप छोटी होने लगी और फिर धीरे-धीरे लुप्त ही हो गई। बता दें कि मशहूर प्राणी विज्ञानी चार्ल्स डार्विन की थ्योरी के मुताबिक, मानव शरीर में मौजूद टेल बोन साफ़-साफ़ ये दर्शाती है कि कभी मनुष्य की पूंछ थी जो टेल बोन से ही निकलती थी।
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