DUSU Election 2024: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में छात्र संघ चुनाव, जिसे डूसू (DUSU) चुनाव के नाम से जाना जाता है, विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस चुनाव के माध्यम से विद्यार्थी अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो उनके हितों और समस्याओं को प्रशासन के सामने रखते हैं। वर्ष 2024 के डूसू चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और पूरे परिसर में लोकतंत्र का उत्साह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
चुनाव प्रक्रिया और समय
इस वर्ष डूसू चुनाव की वोटिंग 8.30 बजे सुबह से शुरू होनी थी, लेकिन यह थोड़ी देर से शुरू हुई। बावजूद इसके, छात्रों में वोटिंग को लेकर जोश और उत्साह साफ दिख रहा है। विभिन्न कॉलेजों में छात्र धीरे-धीरे पहुँचने लगे और वोट डालने के लिए तैयार हुए। विश्वविद्यालय के अधिकांश कॉलेजों में सुबह 8:30 से लेकर दोपहर 1 बजे तक वोटिंग प्रक्रिया जारी रहेगी। हालाँकि, शाम की पाली वाले कॉलेजों में यह प्रक्रिया दोपहर 3 बजे से शाम 7:30 बजे तक चलेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावी प्रक्रिया में इस बार एक लाख से अधिक छात्र मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिससे साफ है कि यह चुनाव बहुत व्यापक और महत्त्वपूर्ण है। इसमें विश्वविद्यालय के चार प्रमुख पदों के लिए चुनाव हो रहे हैं: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, और संयुक्त सचिव। प्रत्येक पद के लिए विभिन्न छात्र संगठन अपने उम्मीदवार उतारते हैं, और हर वर्ष यह चुनाव काफी प्रतिस्पर्धी होता है।
मुख्य संगठन और उनके उम्मीदवार | DUSU Election 2024
डूसू चुनाव में प्रमुख रूप से दो बड़े छात्र संगठनों के बीच मुकाबला होता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) के बीच यह मुख्य संघर्ष होता है। इसके अलावा, अन्य संगठन जैसे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई CYSS भी इस बार चुनावी मैदान में हैं।
ABVP, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी हुई है, ने हमेशा से ही राष्ट्रीय विचारधारा को समर्थन दिया है। वहीं, NSUI, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की छात्र इकाई है, अपने छात्रों के कल्याण और शिक्षा प्रणाली में सुधार के मुद्दों पर जोर देती है। SFI का ध्यान वामपंथी विचारधारा और छात्रों के अधिकारों पर होता है। CYSS, जो आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई है, शिक्षा के अधिकार और पारदर्शिता पर जोर देती है।
हर संगठन ने इस बार अपने एजेंडा को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया है। छात्रों के रोजगार के मुद्दे, विश्वविद्यालय के बुनियादी ढाँचे में सुधार, छात्रावासों की स्थिति, और फीस वृद्धि प्रमुख चुनावी मुद्दे बने हुए हैं।
मेट्रो स्टेशन के बाहर का दृश्य | DUSU Election 2024
दिल्ली विश्वविद्यालय का कैंपस और आस-पास के क्षेत्र, जैसे कि मेट्रो स्टेशन, इस समय चुनावी माहौल से भरे हुए हैं। मेट्रो स्टेशन के बाहर छात्र संगठनों के समर्थक और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ छात्रों को उनके उम्मीदवारों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। समर्थक छात्रों को उनके बैलट नंबर बताते हुए, उन्हें सही उम्मीदवार के लिए वोट डालने की अपील कर रहे हैं।
मेट्रो स्टेशन पर सुबह से ही भीड़ का माहौल है, जहाँ छात्र विभिन्न दिशाओं से आ रहे हैं और सीधे अपने-अपने कॉलेज की ओर बढ़ रहे हैं। छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, मेट्रो स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त व्यवस्था की गई है। छात्रों को चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने और सही उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
वोटिंग प्रक्रिया में सुरक्षा और पारदर्शिता
चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। हर कॉलेज में पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि चुनाव प्रक्रिया शांति और नियमों के अनुसार पूरी हो सके। सुरक्षा के लिए हर मतदान केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, और चुनाव अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है।
इसके अलावा, छात्रों को जागरूक करने और वोटिंग प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न कॉलेजों में जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के माध्यम से वोटिंग प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार की धांधली या गड़बड़ी न हो सके।
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छात्र संगठन की चुनावी रणनीतियाँ
डूसू चुनाव में जीत हासिल करने के लिए छात्र संगठनों ने कई योजनाएँ बनाई हैं। संगठन कैंपस में रैलियों, जनसभाओं और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। छात्र संगठन अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के साथ-साथ उन्हें अपने एजेंडा से भी अवगत करा रहे हैं। सोशल मीडिया का इस चुनाव में अहम भूमिका है, जहां सभी संगठनों ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है।
ABVP और NSUI के उम्मीदवारों ने अपने-अपने क्षेत्र में कई बड़ी रैलियाँ की हैं, जिनमें छात्रों की भारी भीड़ देखने को मिली। संगठन यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे अपने पक्ष में अधिक से अधिक छात्रों को रिझा सकें।