Friday, November 22, 2024
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Ekadashi : भूलकर भी एकादशी के दिन किसी को नहीं खाना चाहिए चावल, जानिए आखिर क्या है कारण ?

Ekadashi : हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व होता है। हर महीने दो एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और एक शुक्ल पक्ष की। एकादशी का दिन विष्णु भगवान को समर्पित होता है। हिंदू धर्म के कई महिलाएं और पुरुष एकादशी का व्रत रखते हैं। साल में आने वाली सभी एकादशियों को बहुत विशेष माना जाता है। एकादशी के व्रत और पूजा के विशेष नियम होते हैं। जिन नियमों के अनासर ही एकादशी की पूजा का फल मिलता है।

ऐसे ही एक नियम के बारे में अधिकतर सभी लोग जानते होंगे। उस नियम के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन जो व्रत नहीं रखता उसको भी चावल नहीं खाना चाहिए। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि केवल एकादशी के दिन ही क्यों चावल खाना वर्जित होता है। पुराणों में इसके पीछे भी एक कारण बताया जाता है। जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण।

Ekadashi 2022: आखिर क्यों एकादशी के दिन चावल खाने की है मनाही, जानिए कारण - ekadashi know why should not eat rice during ekadashi know religious and scientific reason

एकादशी के दिन चावल खाने से क्यों पाप लगता है ? 

विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाने वाले व्यक्ति को अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है। साथ ही ये भी माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना माँस खाने के समान होता है। चावल को महर्षि मेधा के शरीर का माँस माना जाता है।

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चावल को अशुद्ध क्यों माना जाता है ?

एकादशी के दिन चावल को अपवित्र माना जाता है। उसके पीछे विष्णु पुराण में एक कथा सुनने को मिलती है। एक बार आदि शक्ति को महर्षि मेधा पर बहुत क्रोध आया और उनके क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया। शरीर त्याग कर वह पृथ्वी में समा गए। महर्षि मेधा जिस जगह पर पृथ्वी में समाए थे। ठीक उसी जगह धरती में चावल और जौ उत्पन्न हो गए। पुराणों के अनुसार वह दिन एकादशी का दिन था।

यही कारण है कि एकादशी के दिन चावलों में महर्षि मेधा के शरीर का रुप होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन चावल खाता है वह महर्षि मेधा के माँस और रक्त का सेवन करने के समान होता है। इसी के परिणामस्वरुप उस काल से लेकर आज तक एकादशी के दिन चावल खाना पाप करने के समान माना जाता है।

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