Dev Deepawali 2024 Wishes: देव दीपावली का त्योहार इस वर्ष 15 नवंबर को है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह त्योहार मनाया जाता है, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर की सुबह 6 बजकर 19 मिनट से हो जाएगा इसलिए इसी दिन देव दीपावली मनायी जाएगी। देव दीवाली (Dev Deepawali Celebration Date) हिंदुओं के सबसे प्रमुख्य त्योहारों में से एक है, जो दीवाली की तरह महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र दिन पर सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और सभी भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। प्रकाश के इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त विशेष रूप से वाराणसी में गंगा घाटों पर जाते हैं। साथ ही लोग विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं और मंदिरों में दीपदान भी करते हैं।
क्यों कहते हैं देव दिवाली (Dev Deepawali kyu kahte hain)
देवताओं की ओर से दीप जलाए जाने के कारण इस पर्व को देव दिपावली भी कहते हैं। देव दिवाली का पर्व दीपावली के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन सबसे ज्यादा रौनक भगवान शिव के मंदिरों में होता है। हरिद्वार और प्रयागराज में यह पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन दीपदान करते हैं। इस पावन मौके पर दीप दान का शास्त्रों में खास महत्व बताया गया है।
Dev Deepawali 2024 Wishes in Hindi
दीपों की जगमगाहट, फूलों की सुगंध,
देवताओं की आरती, और भक्ति की महक,
देव दिवाली का यह पर्व है खास,
प्रभु के आशीर्वाद से पूरी हो हर आस।
दीपों का ये पावन त्योहार है
लाया आपके लिए खुशियां हजार है
लक्ष्मी जी विराजें आपके घर पर
यही कामना है उस परवरदिगार
हमारे शुभकामनाएं करे स्वीकार शुभ देव दिवाली!
चलो मनाएं देवताओं की दिवाली,
पुण्य की ज्योति से हो जगमग हरी-भरी क्यारी,
इस शुभ अवसर पर करें हम प्रार्थना,
हर जन के जीवन में हो खुशियों की वर्षा।
गंगा आरती, घाटों पर शंखनाद,
शिव के मंत्रों का उद्घोष,
कितना अद्भुत और प्रफुल्लित
करने वाला है ये परिवेश।
देव दीपावली की शुभकामनाएं
देव दीपावली 2024 शुभ मुहूर्त
क्यों मनाई जाती है देव दीवाली? (Dev Deepawali Kyu Manate Hai?)
सनातन धर्म में देव दीवाली को बेहद शुभ माना जाता है। इसे मनाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। एक समय की बात है त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं के सभी अधिकार को उनसे छीनकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया था, जिससे परेशान होकर सभी देवता महादेव के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर (Tripurasura Rakshash) का वध कर उसके आंतक से सभी को मुक्ति दिलाई।
इससे सभी देवगण प्रसन्नता से भर उठें और भगवान शिव के धाम काशी में जाकर गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किया। यह उत्सव पूरी रात चला। ऐसा माना जाता है कि तभी से देव दीपावली (Dev Deepawali) की शुरुआत हुई।