Saturday, July 27, 2024
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Delhi University : ” घोषणा पत्र लागू न करने वाले दलों की मान्यता समाप्त की जाए ” – फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस

Delhi University : लोकसभा चुनाव 2024 के दो चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है. दोनों ही चरणों में जनता ने अपने मताधिताकर का प्रयोग किया. इसी बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के संगठन “फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस” ने लोकसभा चुनाव -2024 में हरेक राजनैतिक दल का चुनावी घोषणा पत्र चुनाव आयोग में जमा कराने की मांग की है. दरअसल, “फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस” का कहना है कि  चुनाव जीतकर शासन में आने पर चुनावी घोषणा में जनता से किए गए वायदे को पूरा न करने पर उस पार्टी की मान्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए।

घोषणापत्र में किए जाते है बड़े – बड़े वादे

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में बताया है कि हर पाँच साल बाद लोकसभा चुनाव होते है जिसमें हर राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए अपने – अपने घोषणा पत्रों में बड़े- बड़े वायदे करते हैं जिसके आधार पर जनता से वोट देने की अपील करते हैं। उनका कहन है कि चुनाव जीतने के बाद सरकार बना लेने पर ये राजनीतिक दल जनता से किए गए वायदे की उपेक्षा करने लगते हैं जबकि जनता ने उन्हें किए गए वायदों पर ही समर्थन दिया था। यह लोकतंत्र में जनता के साथ धोखाधड़ी है।

राजनीतिक दलों का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना – डॉ. सुमन

इस मुद्दे पर डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि वर्तमान समय में हरेक राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों का स्वरूप भी बदल गया है और राजनीतिक दलों का मकसद सिर्फ चुनाव जीतने तक रह गया है। इसके लिए जनता के सामने सम्मोहक भाषण और लुभाने वाले वायदे खूब किए जाते हैं। कभी– कभी तो राजनीतिक दल भारतीय समाज और भारत की आर्थिक स्थिति की अनदेखी करते हुए वायदे करते हैं ऐसे वायदे पूरा करना भी संभव नहीं होता है। सभी राजनीतिक दलों के लिए जीतने पर युवाओं , महिलाओं व समाज के कमजोर वर्गों के लिए कार्य करना उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन जीतने पर उनकी प्राथमिकता से ये मुद्दे गायब हो जाते हैं।

शिक्षा व रोजगार का मुद्दा

शिक्षा व रोजगार के मुद्दे के मुद्दे पर डॉ. सुमन ने कहा कि शिक्षा और रोजगार  युवा पीढ़ी की मुख्य समस्या है। सभी राजनीतिक दल इस समस्या के समाधान का वायदा करते हैं। ये राजनीतिक दल जब चुनाव जीत जाते हैं तो युवाओं को दिशाहीन छोड़ देते हैं जिससे लोगों का जनतंत्र से विश्वास उठ जाता है। यह स्थिति भारत के स्वच्छ लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है।  डॉ. सुमन ने बताया है कि अभी लोकसभा चुनाव — 2024 में सभी राजनीतिक दल अपने लुभावने घोषणा पत्र के माध्यम से जनता से वोट माँग रहे हैं। चुनाव आयोग को इन सभी दलों के घोषणा पत्र अपने पास रखने चाहिए और आगामी चुनाव में इस पर सवाल उठाना चाहिए यदि राजनीतिक दलों की कार्यशैली अपने घोषणा पत्र के अनुरूप नहीं है तो उसकी मान्यता रद्द कर देनी चाहिए।

घोषणापत्रों में किए गए वादे कितने पूरे कितने अघूरे

इसलिए चुनाव आयोग इन राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों पर हस्तक्षेप जरूर करना चाहिए। बता दे कि इस बार देश में 7 चरणों में लोकसभा चुनाव हो रहे है। इसके नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे. हर बार की तरह इस बार भी सभी राजनीतिक दलों ने अपना घोषणा पत्र जारी किया है . इन घोषणापत्रों में जनता से कई वादे किए गए है. इन घोषणापत्र में किए गए जनता से वादे कितने पूरे होते है और कितने नहीं इसको लेकर  अपनी – अपनी राय है. हालांकि, अकसर वादे अधूरे ही रह जाते है ऐसा लोगों का मानना है.

 

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