Delhi Police: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली पुलिस के निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों को समूह सी से समूह बी (गैर-राजपत्रित) में वर्गीकृत करने के लिए भर्ती नियमों में संशोधन की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राजपत्रित अधिकारियों की सूची में शामिल हो जाएंगे, जो उनके करियर और सेवाओं में एक महत्वपूर्ण उन्नति होगी।
पुलिस आयुक्त का अनुरोध
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया था कि दिल्ली पुलिस के निरीक्षकों और उप-निरीक्षकों के रैंक के लगभग 8397 अधिकारियों को पिछले 15 वर्षों से आंतरिक निराशा का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना था कि मौजूदा वर्गीकरण के कारण इन अधिकारियों को पर्याप्त पहचान और उन्नति के अवसर नहीं मिल रहे हैं, जिससे वे हतोत्साहित हो रहे हैं।
इस समय, दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई को समूह सी के पदों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। वहीं, गृह मंत्रालय के तहत आने वाली अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के इंस्पेक्टर और एसआई को समूह बी के पदों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस असंगति का कारण छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का अनुपालन है, जिसके तहत विभिन्न ग्रेड वेतन वाले पदों को समूह बी में रखा गया है।
छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें | Delhi Police
छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत, 4200 रुपये, 4600 रुपये, 4800 रुपये और 5400 रुपये के ग्रेड वेतन वाले पदों को समूह बी में रखा गया था। वहीं, वेतन मैट्रिक्स के 6 से 9 तक के ग्रेड वाले पदों को भी समूह बी में नोट्रे पे के रूप में वर्गीकृत किया गया था। केंद्रीय सरकार के संगठन, जो कि सीसीएस (सीसीए) नियमों द्वारा शासित होते हैं, ने इन सिफारिशों को तुरंत लागू कर दिया था।
हालांकि, दिल्ली पुलिस, जो कि दिल्ली पुलिस अधिनियम और नियमों के तहत संचालित होती है, ने इन सिफारिशों को लागू नहीं किया। यही कारण है कि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई के पदों को अब भी समूह सी में रखा जाता है, जबकि अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधिकारी समूह बी में वर्गीकृत होते हैं।
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गृह मंत्रालय का जवाब | Delhi Police
दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त महीने के बीच में एक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई के पदों को समूह सी से समूह बी (गैर-राजपत्रित) में वर्गीकृत करने के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।
अन्य संघ शासित प्रदेशों और सीएपीएफ के निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों के पदों के भर्ती नियमों को भी विचार-विमर्श का हिस्सा बनाया गया। इस बैठक के आधार पर गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को सलाह दी है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 के प्रावधानों और डीओपीएंडटी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार भर्ती नियमों में संशोधन करके इसे प्रभावी किया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस अधिनियम और डीओपीएंडटी के निर्देश
दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978, दिल्ली पुलिस के कार्यों और उसके अधिकारियों के वर्गीकरण को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत, पदों के वर्गीकरण के लिए विशेष प्रावधान हैं। डीओपीएंडटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ने समय-समय पर विभिन्न पदों के वर्गीकरण और उनके ग्रेड वेतन के आधार पर दिशानिर्देश जारी किए हैं।
गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, दिल्ली पुलिस के लिए यह संभव है कि वह डीओपीएंडटी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार अपने भर्ती नियमों में आवश्यक संशोधन करे। अगर यह संशोधन लागू होता है, तो दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई को समूह बी (गैर-राजपत्रित) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकेगा।
इस कदम के लाभ और संभावित चुनौतियाँ | Delhi Police
अगर यह पहल सफल होती है और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई को समूह बी में वर्गीकृत किया जाता है, तो इससे इन अधिकारियों के करियर में महत्वपूर्ण उन्नति होगी। इससे न केवल उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें अन्य सशस्त्र बलों के अधिकारियों के समान अधिकार और सुविधाएँ भी प्राप्त होंगी।
हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं। भर्ती नियमों में संशोधन करना एक जटिल और समय-साध्य प्रक्रिया हो सकती है। इसके अलावा, इस वर्गीकरण के लागू होने के बाद अन्य संगठन भी इसी तरह के सुधारों की मांग कर सकते हैं, जिससे प्रशासनिक स्तर पर दबाव बढ़ सकता है।
दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई के पदों को समूह सी से समूह बी में वर्गीकृत करने की पहल एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे न केवल इन अधिकारियों को उनकी सेवाओं के लिए उचित मान्यता मिलेगी, बल्कि उनका मनोबल भी बढ़ेगा। यह पहल दिल्ली पुलिस के भीतर कार्यरत हजारों अधिकारियों के लिए एक नई उम्मीद का संचार कर सकती है, जो लंबे समय से इस बदलाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक दक्षता और समय की आवश्यकता होगी। अगर यह पहल सफल होती है, तो यह न केवल दिल्ली पुलिस, बल्कि देश के अन्य पुलिस बलों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।