Delhi MCD: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को एमसीडी (म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली) में एल्डरमैन (मनोनित पार्षद) नियुक्त करने का अधिकार दे दिया है। ये निर्णय दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ा झटका है, जो लंबे समय से इस अधिकार को अपने पास रखना चाहती थी।
दिल्ली का एमसीडी देश की सबसे बड़ी नगर निगमों में से एक है, जो राजधानी के विभिन्न नागरिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति का मामला लंबे समय से विवादित रहा है। एल्डरमैन, जो गैर-चुनावी सदस्यों के रूप में एमसीडी में सेवा करते हैं, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं और उनके पास वोटिंग का अधिकार होता है।विवाद का मुख्य कारण यह था कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच यह अधिकार किसके पास होना चाहिए।
एलजी वीके सक्सेना ने किया फैसले का स्वागत
एलजी वीके सक्सेना ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि यह निर्णय दिल्ली के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द ही एल्डरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी नियुक्तियां योग्यता के आधार पर हों।
दिल्ली सरकार का दावा
दिल्ली सरकार का दावा था कि चुनी हुई सरकार को ही यह अधिकार होना चाहिए, जबकि एलजी का तर्क था कि चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यह अधिकार उनके पास होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि चूंकि दिल्ली एक विशेष प्रकार का केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत एलजी के पास एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस निर्णय से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकारों का हनन नहीं होता।
केजरीवाल सरकार ने निराशा की व्यक्त
दिल्ली सरकार ने इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और इससे जनता की चुनी हुई सरकार की शक्तियों में कटौती होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।
इस फैसले पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय दिल्ली की राजनीति में शक्ति संतुलन को बदल सकता है। वे कहते हैं कि इससे एमसीडी के कामकाज में अधिक स्थिरता आएगी, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि एल्डरमैन की नियुक्ति पारदर्शी और निष्पक्ष हो। इस निर्णय का राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण होगा। दिल्ली की आप सरकार और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, और इस निर्णय से यह तनाव और बढ़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाती है।
कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप है। अनुच्छेद 239एए के तहत दिल्ली की स्थिति विशेष है और इसके प्रशासन में एलजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोर्ट ने इस भूमिका को मान्यता देते हुए यह निर्णय दिया है। अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार इस निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करती है या नहीं। अगर याचिका दाखिल होती है, तो यह मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आएगा और दिल्ली की राजनीति में एक और मोड़ आएगा। इसके अलावा, एलजी की नियुक्तियों की प्रक्रिया भी चर्चा का विषय बनेगी।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दिल्ली की राजनीति और प्रशासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जानकारों का कहना है कि इससे न केवल एमसीडी के कामकाज में सुधार हो सकता है, बल्कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच संतुलन स्थापित करने में भी मदद मिल सकती है। हालांकि, इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।