Wednesday, January 15, 2025
MGU Meghalaya
Homeभारतदिल्लीDelhi liquor scam case: ED को मिली केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की...

Delhi liquor scam case: ED को मिली केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति

Delhi liquor scam case: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। यह अनुमति महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि केजरीवाल ने सक्षम प्राधिकारी से अनुमति न होने का तर्क देते हुए निचली अदालत में अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

मामला क्या है ?

अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि जैसे सीबीआई को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (POCA) के तहत सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई से पहले अनुमति लेनी होती है, वैसे ही PMLA के मामलों में भी यह प्रक्रिया अनिवार्य है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

6 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक फैसले को सही ठहराया था, जिसमें दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ ED की चार्जशीट को सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के अभाव में निरस्त कर दिया गया था। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने स्पष्ट किया था कि सीआरपीसी की धारा 197(1) PMLA मामलों पर भी लागू होती है।

सीआरपीसी 197(1) का प्रावधान

सीआरपीसी की धारा 197(1) के तहत किसी लोकसेवक के खिलाफ उसके आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित अपराधों के लिए मुकदमा चलाने से पहले सक्षम प्राधिकारी की अनुमति अनिवार्य है। यह प्रावधान सरकारी अधिकारियों को उन मामलों में सुरक्षा प्रदान करता है, जो उनके आधिकारिक कार्यों से जुड़े होते हैं। सक्षम प्राधिकारी वही होता है, जिसके पास संबंधित अधिकारी को पद से हटाने का अधिकार होता है।

आगे की प्रक्रिया

दिल्ली हाई कोर्ट अब इस पर विचार करेगा कि ED को दी गई अनुमति चार्जशीट दाखिल होने से पहले मिली थी या बाद में। यदि अनुमति चार्जशीट दाखिल होने के बाद प्राप्त हुई है, तो अदालत को यह तय करना होगा कि क्या इस आधार पर चार्जशीट को रद्द किया जा सकता है।

तकनीकी और कानूनी चुनौती

केजरीवाल का पक्ष यह है कि तकनीकी आधार पर बिना अनुमति के चार्जशीट दाखिल करना कानून का उल्लंघन है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क होगा कि अनुमति मिलने के बाद चार्जशीट वैध हो जाती है। यह मामला न केवल PMLA की प्रक्रियाओं बल्कि लोकसेवकों के कानूनी संरक्षण के दायरे पर भी प्रभाव डाल सकता है।

इस विवाद में हाई कोर्ट का फैसला अहम होगा क्योंकि यह न केवल इस मामले की दिशा तय करेगा, बल्कि लोकसेवकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को लेकर एक मिसाल भी स्थापित करेगा। ED और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी तकनीकी त्रुटियां न हों, जबकि अदालत यह देखेगी कि कानून के दायरे में न्याय सुनिश्चित हो।

- Advertisment -
Most Popular