Tuesday, September 17, 2024
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Delhi Liquor Policy Scam: शराब नीति घोटाला मामले में आज CBI की चौथी चार्जशीट पर सुनवाई

Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ चल रहे कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़ा मामला लगातार सुर्खियों में है। इस घोटाले में सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा हड़कंप मचा दिया है। यह मामला एक जटिल कानूनी और राजनीतिक संघर्ष का प्रतीक बन चुका है, जिसमें कई बड़े नामों का जिक्र हुआ है, और जिसकी वजह से दिल्ली की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है।

केजरीवाल की हिरासत और सीबीआई की कार्यवाही

सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 26 जून 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की आबकारी नीति में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।

आज, 3 सितंबर 2024, को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत का आखिरी दिन है। इस महत्वपूर्ण दिन पर, सीबीआई उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश करेगी और उनकी हिरासत को बढ़ाने का अनुरोध करेगी। दूसरी ओर, केजरीवाल के वकील अदालत में उनकी जमानत के लिए तर्क देंगे। इस मामले में अदालती कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकी होंगी, क्योंकि इसका असर न केवल दिल्ली की राजनीति पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पड़ सकता है।

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सीबीआई का आरोपपत्र और अदालती कार्यवाही | Delhi Liquor Policy Scam

सीबीआई ने इस मामले में चार आरोपपत्र दायर किए हैं, जिनमें से चौथे आरोपपत्र पर आज अदालत सुनवाई कर सकती है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी। आरोपपत्र में सीबीआई ने दावा किया है कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने जानबूझकर ऐसी नीतियां बनाई, जिससे कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा। इन आरोपों के तहत केजरीवाल पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।

Delhi Liquor Policy Scam

विजय नायर को मिली जमानत | Delhi Liquor Policy Scam

दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में AAP के पूर्व संचार प्रमुख विजय नायर को सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर 2024 को जमानत दे दी। लगभग 23 महीनों तक जेल में रहने के बाद, नायर की जमानत को आप ने “सत्य की विजय” करार दिया है। AAP का दावा है कि भाजपा और केंद्र सरकार ने उनके नेताओं के खिलाफ साजिश रचकर उन्हें फंसाने का प्रयास किया, लेकिन न्यायालय ने सच का साथ दिया और नायर को जमानत मिल गई। आप ने आगे कहा कि यह साजिश धीरे-धीरे बेनकाब हो रही है, और जल्द ही अरविंद केजरीवाल भी जमानत पर रिहा होंगे।

राजनीतिक और कानूनी जंग

इस मामले को लेकर AAP और भाजपा के बीच राजनीतिक जंग छिड़ गई है। AAP का आरोप है कि भाजपा केंद्र सरकार के जरिए उनके नेताओं को निशाना बना रही है, ताकि दिल्ली सरकार को अस्थिर किया जा सके। वहीं, भाजपा ने AAP पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी ने दिल्ली की आबकारी नीति का दुरुपयोग किया है।

केजरीवाल के समर्थन में आप ने जोरदार अभियान चलाया है, जिसमें उन्होंने अपने नेता को निर्दोष साबित करने की कोशिश की है। आप के नेता और समर्थक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा ने झूठे आरोप लगाकर उनके नेताओं को फंसाने का प्रयास किया है। वहीं, भाजपा का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है, और जो भी दोषी होगा, उसे सजा जरूर मिलेगी।

ईडी की जांच और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ चल रही जांच में ईडी ने भी अहम भूमिका निभाई है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी हुई है। यह मामला कानूनी रूप से काफी जटिल हो चुका है, और इसमें कई पेचीदा मुद्दे सामने आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और इसके लिए कानून का पालन आवश्यक है।

अदालती फैसले का असर 

आज केजरीवाल की हिरासत और जमानत पर आने वाला अदालती फैसला न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भारतीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। अगर अदालत उनकी हिरासत को बढ़ाती है, तो AAP के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। वहीं, अगर उन्हें जमानत मिलती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी राहत होगी और उनके आरोपों के खिलाफ लड़ाई को नया मोड़ देगा।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली का आबकारी नीति घोटाला एक ऐसा मामला बन चुका है, जो राजनीति, कानून और जनता के विश्वास के ताने-बाने को चुनौती दे रहा है। इस मामले का अंतिम परिणाम चाहे जो भी हो, इससे भारतीय राजनीति में एक नई दिशा तय होगी, और देश की जनता को न्यायिक प्रणाली पर नए सिरे से विश्वास दिलाना होगा।

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