Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। यह मामला सीबीआई द्वारा की गई जांच से संबंधित है, जिसमें केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने सुनवाई की, जिनमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइंया शामिल थे। दोनों ने केजरीवाल की जमानत पर सहमति जताई, लेकिन गिरफ्तारी को लेकर उनकी राय अलग-अलग थी।
जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया, जबकि जस्टिस भुइंया ने गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दर्ज केस में केजरीवाल को 10 लाख रुपये के निजी बॉन्ड पर जमानत दी है। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सीबीआई की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी।
दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर यह विवाद तब सामने आया जब केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार पर शराब घोटाले के आरोप लगे। ईडी और सीबीआई दोनों एजेंसियों ने इस मामले की जांच की, और इसमें कई बड़े नामों के साथ-साथ केजरीवाल का भी नाम जोड़ा गया। इससे पहले, अरविंद केजरीवाल को ईडी के मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी, लेकिन सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद उन्हें फिर से कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा।
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केजरीवाल की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। पहली याचिका जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी याचिका में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई थी। जमानत तो मिल गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए कहा कि यह कानून के अनुसार थी।
अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कई दलीलें पेश कीं। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी जानबूझकर की गई और उन्हें जेल में रखने के लिए यह कदम उठाया गया। उन्होंने तर्क दिया कि सीबीआई की एफआईआर में केजरीवाल का नाम नहीं था, और गिरफ्तारी से पहले उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। सिंघवी ने यह भी कहा कि केजरीवाल के खिलाफ कोई ठोस नया सबूत नहीं है, और उनकी गिरफ्तारी केवल एक गवाही के आधार पर की गई है।
सिंघवी ने कोर्ट को यह भी बताया कि सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करने के दो साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया, और यह गिरफ्तारी केवल राजनीतिक कारणों से की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल के खिलाफ चल रहे अन्य मामलों, विशेष रूप से पीएमएलए के तहत, उन्हें दो बार रिहा किया जा चुका है। उन्होंने जमानत के सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।
दूसरी ओर, सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने अदालत में तर्क दिया कि केजरीवाल शराब घोटाले के मुख्य आरोपी हैं और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पूरी तरह से वैध थी और इसे मजिस्ट्रेट की मंजूरी भी मिली थी। साथ ही, राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी इस गिरफ्तारी की अनुमति दी थी। सीबीआई के अनुसार, जांच के दौरान प्राप्त सबूतों के आधार पर यह गिरफ्तारी की गई थी, और इस गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सही नहीं है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत का यह मामला भारतीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, क्योंकि यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। दिल्ली की शराब नीति से जुड़े इस घोटाले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और इस पर आगे भी राजनीतिक बहस जारी रहने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल के मामले में जो फैसला लिया गया है, वह अन्य मामलों, जैसे कि ईडी और सीबीआई द्वारा की गई जांचों में भी लागू हो सकता है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में केजरीवाल के खिलाफ चल रहे अन्य मामलों में भी इसी प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
यह मामला केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक दृष्टिकोण भी जुड़ा हुआ है। केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत को लेकर विपक्षी दलों ने भी इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वहीं, केजरीवाल और उनकी पार्टी ने इस पूरी प्रक्रिया को एक साजिश के रूप में देखा है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।