Friday, January 31, 2025
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Delhi Assembly Elections: ताहिर हुसैन ने मुस्तफाबाद से शुरू किया चुनाव प्रचार,मिली है कस्टडी पैरोल

Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार का आखिरी सप्ताह चल रहा है। सोमवार शाम चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। सुप्रीम कोर्ट से कस्टडी पैरोल मिलने के बाद दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन बुधवार को सुबह 6 बजे जेल से बाहर आए हैं। ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से AIMIM के उम्मीदवार हैं और तीन फरवरी तक हर रोज सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक अपने विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करेंगे।

ताहिर हुसैन को मिली कस्टडी पैरोल

कस्टडी पैरोल के तहत ताहिर हुसैन को हर रोज जेल से बाहर आकर 12 घंटे तक प्रचार करने की अनुमति मिली है। उन्हें हर रात जेल लौटना होगा और वे अपने घर नहीं जा सकेंगे। दिन में आराम करने के लिए उनके वकील द्वारा अदालत को दिए गए पते या क्राउन प्लाजा गेस्ट हाउस में ही ठहरने की अनुमति दी गई है। साथ ही, उन्हें अपनी सुरक्षा और जेल वैन का खर्च भी उठाना होगा। वे कोई सार्वजनिक बयान नहीं दे सकते और अदालत में लंबित मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।

मुस्तफाबाद में ताहिर हुसैन का प्रचार

मुस्तफाबाद वही सीट है, जहां के कुछ वीडियो ने दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा की भयावहता को उजागर किया था। ताहिर हुसैन, जो पहले पार्षद थे, उनके घर की छत से दंगाइयों द्वारा पथराव किए जाने के वीडियो सामने आए थे। वे पिछले पांच साल से जेल में बंद हैं और अब ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।

बुधवार सुबह तिहाड़ जेल से रिहा होते ही ताहिर हुसैन दिल्ली पुलिस की निगरानी में मुस्तफाबाद पहुंचे। उन्होंने अपने मुख्य चुनावी कार्यालय में समर्थकों के साथ बैठक की और प्रचार रणनीति तैयार की। उनकी रैलियों का फोकस मुस्लिम बहुल इलाकों पर रहेगा। ओवैसी के साथ उनके रोड शो की योजना भी बनाई जा रही है।

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चुनाव पर संभावित सियासी असर

हालांकि ताहिर हुसैन का प्रचार केवल मुस्तफाबाद तक सीमित रहेगा, लेकिन इसका असर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की कई सीटों पर पड़ सकता है। 2020 में हुए दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों में मुस्तफाबाद, सीलमपुर, गोकलपुरी, घोंडा, बाबरपुर और करावल नगर शामिल थे। ऐसे में ताहिर हुसैन का जेल से बाहर आकर प्रचार करना इन इलाकों में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है।

धार्मिक ध्रुवीकरण की नई परिभाषा

AIMIM इस बार दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ओवैसी ने मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन और ओखला से शिफाउर रहमान को टिकट दिया है, जो खुद भी दिल्ली दंगों के आरोपी हैं। वहीं, बीजेपी ने करावल नगर से कपिल मिश्रा को टिकट दिया है, जो अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि इस बार चुनाव में धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण नई परिभाषा ले रहा है।

बीजेपी और ओवैसी के बीच सीधी टक्कर

दिल्ली चुनाव में बीजेपी खुलकर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है, जबकि ओवैसी मुस्लिम वोटों को साधने में लगे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार को “धर्मयुद्ध” बताया है, जबकि ओवैसी अपने भाषणों में बीजेपी और केजरीवाल दोनों पर निशाना साध रहे हैं। वे ताहिर हुसैन और शिफाउर रहमान को निर्दोष बताते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मुस्लिम विरोधी करार देने की कोशिश कर रहे हैं।

मुस्लिम वोटबैंक पर असर

दिल्ली में मुस्लिम वोटबैंक का खासा प्रभाव है। लगभग 13% मुस्लिम आबादी 9 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। 2020 में आम आदमी पार्टी को मुस्लिमों का समर्थन मिला था, लेकिन इस बार कांग्रेस और AIMIM भी मुस्लिम वोटों के लिए जोर लगा रही हैं। ताहिर हुसैन के प्रचार में उतरने से यह समीकरण बदल सकता है।

दिल्ली चुनाव में नया समीकरण

दिल्ली चुनाव की लड़ाई फिलहाल बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच दिख रही है, लेकिन कांग्रेस इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। इसी बीच, ओवैसी ने मुस्लिम बहुल दो सीटों पर उम्मीदवार उतारकर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की रणनीति अपनाई है। ताहिर हुसैन को मैदान में उतारने से धार्मिक ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गई है। बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर हिंदू वोटों को लामबंद कर सकती है, जिससे दिल्ली चुनाव का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।

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