Delhi Air Quality Index Today: दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता एक बार फिर चिंता का विषय बन गई है। सर्दियों की शुरुआत से पहले ही हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है, जिससे सांस लेने में दिक्कतें और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अक्षरधाम और इसके आसपास के इलाकों में धुंध की मोटी परत छा गई है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 334 तक पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, यह स्तर “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। ऐसे में हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों पर।
प्रमुख इलाके और वायु गुणवत्ता
दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है। उदाहरण के लिए, आईटीओ क्षेत्र में एक्यूआई 226 तक पहुंच गया है, जिसे “खराब” श्रेणी में रखा गया है। वहीं, इंडिया गेट के आसपास की हवा भी साफ नहीं है, और यहां एक्यूआई 251 रिकॉर्ड किया गया है। भीकाजी कामा प्लेस इलाके में एक्यूआई 273 तक पहुंच गया है, जबकि एम्स क्षेत्र के पास वायु गुणवत्ता सूचकांक 253 पर है। इन इलाकों में धुंध की हल्की परत छाई हुई है, जो दृश्यता को भी प्रभावित कर रही है।
प्रदूषण के स्रोत
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण के कई स्रोत हैं, जिनसे वायु गुणवत्ता में गिरावट हो रही है। आनंद विहार जैसे क्षेत्र में बस स्टेशन के सामने क्षतिग्रस्त सड़कों और वाहनों के आवागमन से उठने वाली धूल मुख्य कारण हैं। वहीं, अशोक विहार और द्वारका जैसे इलाकों में भी सड़क की धूल, ट्रैफिक जाम और अवैध कचरा डंपिंग प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
मुंडका क्षेत्र में शहरी विस्तार रोड-2 (UER-2) के निर्माण से भारी मात्रा में धूल का उत्सर्जन हो रहा है। यहां ट्रैफिक और औद्योगिक गतिविधियां भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रही हैं। जहांगीरपुरी, रोहिणी और ओखला जैसे क्षेत्रों में कचरा जलाना, निर्माण गतिविधियां और यातायात जाम वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में प्रशासन को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है ताकि प्रदूषण के इन स्रोतों को नियंत्रित किया जा सके।
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सरकार के प्रयास
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। राजधानी के 13 हॉटस्पॉट इलाकों में प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विभिन्न समन्वय समितियां बनाई हैं। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य हॉटस्पॉट्स में प्रदूषण के स्रोतों की निगरानी और समाधान निकालना है। इन इलाकों में धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 80 मोबाइल एंटी स्मॉग गन तैनात की गई हैं। इसके साथ ही, एमसीडी के डीसी को सभी संबंधित अधिकारियों के साथ इन हॉटस्पॉट्स का लगातार निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली के हॉटस्पॉट क्षेत्रों में प्रदूषण के मुख्य स्रोत
दिल्ली के 13 प्रमुख प्रदूषण हॉटस्पॉट्स में आनंद विहार, अशोक विहार, द्वारका, मुंडका, जहांगीरपुरी, रोहिणी, नरेला, ओखला, पंजाबी बाग, आरके पुरम, विवेक विहार, वजीरपुर और बवाना शामिल हैं।
- आनंद विहार: यहां के प्रमुख प्रदूषण स्रोतों में क्षतिग्रस्त सड़कों से उठने वाली धूल और बस स्टेशनों पर होने वाली भीड़भाड़ शामिल है।
- अशोक विहार: ट्रैफिक जाम और मेट्रो प्रोजेक्ट्स के कारण उत्पन्न होने वाली धूल यहां के वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।
- द्वारका: यहां डीडीए ग्राउंड और कचरे की अवैध डंपिंग प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।
- मुंडका: यहां के प्रदूषण का मुख्य कारण शहरी विस्तार रोड-2 के निर्माण से उत्पन्न धूल और ट्रैफिक है।
- जहांगीरपुरी: इस क्षेत्र में कचरा जलाने और डीएमआरसी निर्माण स्थलों से धूल का उत्सर्जन हो रहा है।
- रोहिणी: यहां निर्माण स्थलों और कचरे की अवैध डंपिंग से प्रदूषण हो रहा है।
- नरेला: बस डिपो और सड़क पर धूल मुख्य प्रदूषण स्रोत हैं।
- ओखला: यहां ट्रैफिक जाम और क्षतिग्रस्त सड़कों से उत्पन्न धूल प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
- पंजाबी बाग: रोड नंबर 41 पर गड्ढे और अवैध कचरा डंपिंग प्रदूषण के स्रोत हैं।
- आरके पुरम: यहां सड़कों पर गड्ढे और जाम प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
- विवेक विहार: निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से उत्पन्न धूल यहां की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।
- वजीरपुर: सड़कों की हालत खराब होने के कारण यहां धूल का स्तर अधिक है।
- बवाना: कचरे की अवैध डंपिंग और यातायात यहां के प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार को और अधिक प्रभावी कदम उठाने होंगे। प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की नियमित निगरानी और कचरा डंपिंग, धूल उत्सर्जन और अवैध निर्माण गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रदूषण की इस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए न केवल सरकारी विभागों, बल्कि आम नागरिकों को भी योगदान देना होगा।