Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR और भारत के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार दर्ज किया गया। पटना में AQI 350 और लखनऊ में 321 तक पहुंचने से वहां के नागरिकों के लिए भी स्वास्थ्य संकट गहरा गया है।
प्रदूषण के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण के लिए एकल कारण को जिम्मेदार ठहराना संभव नहीं है। दिल्ली-NCR में ब्लैक कार्बन, ओजोन, जीवाश्म ईंधन का जलना, और पराली जलाने जैसी गतिविधियां इसके मुख्य कारण हैं। सर्दी के मौसम में धीमी हवा और नमी प्रदूषकों को लंबे समय तक वातावरण में बनाए रखते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय चिंता | Delhi Air Pollution
दिल्ली के वायु प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा हो रही है। अजरबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित COP29 सम्मेलन में विशेषज्ञों ने दिल्ली की जहरीली हवा पर चिंता व्यक्त की। ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ एलायंस के उपाध्यक्ष कर्टनी हॉवर्ड ने कहा कि प्रदूषण से निपटना अमीर देशों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कनाडा में जंगल की आग का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए गरीब देशों की मदद करना आवश्यक है।
बच्चों पर प्रभाव
ब्रीथ मंगोलिया के सह-संस्थापक एनखुन ब्याम्बादोर्ज ने बच्चों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि यह बच्चों के फेफड़ों और उनके भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, 2021 में वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक स्तर पर 80 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से 21 लाख मौतें भारत में हुईं।
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भारत का पक्ष
COP29 के दौरान, भारत के केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव नरेश पाल गंगवार ने भारत में वायु प्रदूषण को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के साथ मिलकर सीमाओं के पार प्रदूषण को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
क्या हैं समाधान ?
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला के अनुसार, वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए ग्लोबल एक्शन की आवश्यकता है। भारत में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना, सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करना और पराली जलाने के विकल्पों को प्रोत्साहित करना जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, नागरिक जागरूकता बढ़ाकर और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर इस संकट को कम करने में मदद की जा सकती है।
वायु प्रदूषण केवल भारत की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संकट है। इसे नियंत्रित करने के लिए सामूहिक प्रयास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करना न केवल आज की जरूरत है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है।