Saturday, November 16, 2024
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Decreasing Population In Developed Countries: घटती जनसंख्या विकसित देशों के लिए एक बड़ी परेशानी

Decreasing Population In Developed Countries: दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में जन्म दर लगातार गिरती जा रही है और इसका सीधा प्रभाव उनकी जनसंख्या संरचना पर पड़ रहा है। जहां विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना एक प्रमुख मुद्दा है, वहीं विकसित देश अपने घटते जनसंख्या ग्राफ से परेशान हैं। जन्म दर में गिरावट का असर सीधे तौर पर देशों की श्रम शक्ति, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है।

कौन से देश घटती जनसंख्या से परेशान ?

घटती जनसंख्या से जूझ रहे देशों में जापान, इटली, रूस, जर्मनी, स्पेन और पोलैंड जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इन देशों में विभिन्न आर्थिक और सामाजिक कारणों से जन्म दर में गिरावट आई है।

Decreasing Population In Developed Countries

जापान 

जापान में जनसंख्या संकट की समस्या सबसे गंभीर है। 2023 तक जापान की जनसंख्या लगभग 125 मिलियन थी, जो घटती जा रही है। इसका मुख्य कारण जन्म दर में कमी और वृद्ध जनसंख्या का बढ़ना है। यहां की जन्म दर 1.34 प्रति महिला है, जो कि जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक 2.1 के स्तर से काफी कम है। जापानी युवाओं में विवाह और परिवार बनाने की प्रवृत्ति में कमी देखी जा रही है, जिससे जनसंख्या में गिरावट आई है।

इसके अलावा, जापान की युवा पीढ़ी अपने करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देती है, जिसके चलते वे परिवार बनाने से पीछे हट रहे हैं। यह स्थिति सामाजिक सुरक्षा सेवाओं पर दबाव बढ़ा रही है क्योंकि जापान की वृद्ध जनसंख्या को समर्थन देने के लिए कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या कम हो रही है।

इटली | Decreasing Population In Developed Countries

इटली भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। यहां की जन्म दर 1.24 प्रति महिला है, जो यूरोपीय संघ में सबसे कम है। इटली की सरकार ने जनसंख्या को बढ़ाने के लिए परिवारों को आर्थिक सहायता और अन्य प्रोत्साहन देने के कई उपाय किए हैं, लेकिन ये उपाय सांस्कृतिक बदलाव के कारण सफल नहीं हो पा रहे हैं।

इटली में युवाओं के बीच यह प्रवृत्ति बढ़ रही है कि वे शादी और बच्चों की परवरिश को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। एक अध्ययन में बताया गया कि इटली में लगभग 40% युवा दंपत्तियों ने बिना बच्चों के जीवन जीने को प्राथमिकता दी है। यह प्रवृत्ति देश की जनसंख्या को गंभीर संकट की ओर ले जा रही है।

रूस | Decreasing Population In Developed Countries

रूस की जनसंख्या भी घट रही है और 2023 में रूस की जनसंख्या लगभग 146 मिलियन से घटकर 145 मिलियन के करीब पहुंच गई है। देश में जन्म दर में गिरावट और बढ़ती मृत्यु दर के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। साथ ही, रूस में चल रहे राजनीतिक और आर्थिक संकट, युद्ध और पलायन भी जनसंख्या संकट को और गंभीर बना रहे हैं। रूसी सरकार ने जनसंख्या वृद्धि के लिए विभिन्न कार्यक्रम और आर्थिक सहायता की घोषणाएं की हैं, लेकिन इसके परिणाम सीमित रहे हैं।

जर्मनी 

जर्मनी भी घटती जनसंख्या का सामना कर रहा है। यहां की जन्म दर 1.53 प्रति महिला है, जो सामान्य दर से काफी कम है। बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और युवाओं के अन्य देशों में प्रवास के कारण श्रम शक्ति में कमी आई है। इसके अलावा, जर्मन सरकार ने प्रवासियों को आकर्षित करने के लिए कई नीतियां बनाई हैं ताकि देश की श्रम शक्ति को बनाए रखा जा सके। 2023 में जर्मनी ने अपने प्रवासी कार्यक्रम को और मजबूत किया है ताकि वह आवश्यक श्रम शक्ति की पूर्ति कर सके।

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स्पेन और पोलैंड

स्पेन और पोलैंड दोनों ही घटती जनसंख्या से प्रभावित हैं। स्पेन की जन्म दर 1.23 प्रति महिला है, जो यूरोपीय संघ में सबसे कम है। पोलैंड की जन्म दर भी 1.38 प्रति महिला है। इन देशों में सरकारें परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता और अन्य योजनाएं चला रही हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।

Decreasing Population In Developed Countries

घटती जनसंख्या के कारण 

घटती जनसंख्या के कई कारण होते हैं, जिनमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू शामिल होते हैं। इन कारणों को समझना जरूरी है ताकि सरकारें इन समस्याओं का समाधान निकाल सकें।

1. करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की प्राथमिकता

आज की युवा पीढ़ी पारंपरिक परिवार संरचना की अपेक्षा करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्व देती है। वे विवाह और बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के बजाय अपने करियर में आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके साथ ही, वे जीवनशैली में स्वतंत्रता और लचीलापन चाहते हैं, जिससे बच्चों के जन्म और परवरिश का विचार उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

2. आर्थिक दबाव

बढ़ती महंगाई और आवास की कीमतों में वृद्धि ने भी दंपत्तियों के निर्णय पर गहरा प्रभाव डाला है। एक बच्चे की परवरिश पर भारी वित्तीय बोझ होता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की अन्य आवश्यकताएं शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में एक बच्चे की परवरिश पर औसतन 20 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आता है। इन खर्चों के चलते दंपत्ति बच्चों को जन्म देने के बारे में संकोच कर रहे हैं।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव

विभिन्न देशों में सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव भी घटती जनसंख्या का एक बड़ा कारण हैं। कई देशों में विवाह और परिवार बनाने की पारंपरिक अवधारणाएं धीरे-धीरे बदल रही हैं। युवा दंपत्ति शादी और बच्चों की बजाय अपने करियर, शिक्षा और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा, महिलाओं के कार्यक्षेत्र में बढ़ते योगदान ने भी परिवार योजना के निर्णयों को प्रभावित किया है।

4. स्वास्थ्य और जीवन शैली के फैसले

कुछ लोग स्वास्थ्य कारणों से भी बच्चे नहीं पैदा करना चाहते। वर्तमान जीवनशैली, बढ़ता तनाव और अनियमित दिनचर्या ने भी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाला है, जिससे लोग बच्चों की जिम्मेदारी उठाने से कतराते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग अपने व्यक्तिगत जीवन में गोपनीयता और स्वतंत्रता चाहते हैं और इस कारण वे बच्चे नहीं पैदा करने का निर्णय लेते हैं।

5. भविष्य के प्रति चिंता

एक और प्रमुख कारण है भविष्य को लेकर बढ़ती चिंता। पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन, युद्ध और आर्थिक अस्थिरता जैसी स्थितियां लोगों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही हैं। वे सोचते हैं कि इस तरह के अस्थिर समय में बच्चों को जन्म देना और उनका भविष्य सुरक्षित रखना मुश्किल हो सकता है।

सरकार

सरकारों के उपाय और नीतियाँ

दुनिया भर में घटती जनसंख्या को देखते हुए, कई देशों की सरकारें इस समस्या को हल करने के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियों और प्रोत्साहन योजनाएं बना रही हैं। इनमें आर्थिक सहायता, कर राहत, और परिवारों के लिए विशेष सुविधाएं शामिल हैं ताकि लोग अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए प्रोत्साहित हों।

1. जापान

जापान में सरकार ने जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं। सरकार ने “बच्चे पैदा करने के अनुकूल वातावरण” बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया है, जिसमें बच्चों की देखभाल की सेवाओं को बेहतर बनाना और माता-पिता के लिए रोजगार में लचीलेपन की व्यवस्था शामिल है। इसके अलावा, वित्तीय सहायता और बच्चों की देखभाल के खर्चों में कटौती के माध्यम से परिवारों को समर्थन देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

2. इटली

इटली की सरकार ने भी परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इसमें बच्चों की देखभाल के लिए वित्तीय सहायता, कर छूट, और मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इसके बावजूद, इटली में पारिवारिक संरचना और बच्चों की परवरिश के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव लाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

3. रूस

रूस ने भी घटती जनसंख्या के संकट से निपटने के लिए “मातृत्व पूंजी” (Maternity Capital) जैसी योजनाएं लागू की हैं, जिसके तहत दूसरे और तीसरे बच्चे के जन्म पर परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा, रूस ने परिवारों को बढ़ावा देने के लिए कर लाभ और अन्य प्रोत्साहनों का भी प्रावधान किया है। सरकार लगातार जनसंख्या वृद्धि के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन हाल के आर्थिक संकट और युद्ध की स्थिति ने इन प्रयासों को सीमित कर दिया है।

4. जर्मनी

जर्मनी ने प्रवासियों को आकर्षित करने के लिए नीतियां बनाई हैं ताकि वह देश की श्रम शक्ति को बढ़ा सके। इसके अलावा, जर्मन सरकार ने परिवारों के लिए वित्तीय सहायता और बच्चों की देखभाल के लिए सब्सिडी की योजनाएं शुरू की हैं। सरकार यह समझ रही है कि घटती जनसंख्या के कारण आने वाले समय में श्रम शक्ति की कमी और आर्थिक विकास पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए वह इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

5. स्पेन और पोलैंड

स्पेन और पोलैंड ने भी परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देने की योजनाएं बनाई हैं। पोलैंड में सरकार ने “500+” योजना शुरू की, जिसके तहत प्रत्येक दूसरे और अधिक बच्चों के लिए हर महीने वित्तीय सहायता दी जाती है। स्पेन में भी परिवारों के लिए कर राहत और मातृत्व अवकाश में विस्तार के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

6. दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया ने घटती जनसंख्या के संकट को देखते हुए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। इसमें बच्चों की परवरिश के लिए सब्सिडी, कामकाजी माता-पिता के लिए लचीले काम के घंटे, और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार की ओर से विशेष समर्थन शामिल हैं। इसके बावजूद, दक्षिण कोरिया की जन्म दर दुनिया में सबसे कम बनी हुई है, और यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।

दुनियाभर में घटती जनसंख्या एक जटिल समस्या है जिसका समाधान केवल आर्थिक या नीतिगत उपायों से नहीं हो सकता। यह समस्या सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं से भी गहराई से जुड़ी हुई है। जहां एक ओर करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर महंगाई, आर्थिक अस्थिरता और भविष्य की चिंताओं ने दंपत्तियों को बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित किया है।

हालांकि, विभिन्न देशों की सरकारें इस संकट से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियों और प्रोत्साहन योजनाओं को लागू कर रही हैं, लेकिन यह समस्या इतनी जटिल है कि इसका समाधान केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव और परिवार के महत्व को फिर से समझने की जरूरत है। तभी हम इस वैश्विक जनसंख्या संकट से बाहर निकल सकते हैं और समाज को संतुलित और स्थिर बना सकते हैं।

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