Saturday, December 21, 2024
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Cyber ​​Fraud: दिव्यांग सेवानिवृत्त अधिकारी से साइबर ठगी, अपराधियों ने उड़ा डाले 1.51 करोड़ रुपये

Cyber ​​Fraud: साइबर अपराधियों द्वारा निवेश का झांसा देकर लोगों को ठगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में दिव्यांग सेवानिवृत्त अधिकारी से 1.51 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। पीड़ित, जो एक रिटायर्ड अधिकारी हैं, को 50% तक मुनाफा दिलाने का वादा कर साइबर अपराधियों ने निशाना बनाया। ठगी का खुलासा तब हुआ जब उनसे और पैसे जमा करने का दबाव बनाया गया।

ठगी की शुरुआत: सोशल मीडिया के जरिए संपर्क

सेक्टर-20 निवासी पीड़ित मुकेश रामेश्वर ने शिकायत में बताया कि उनकी मुलाकात इस साल अक्टूबर में सोशल मीडिया पर आकाश पंवार नामक व्यक्ति से हुई। आकाश ने खुद को शेयर बाजार का विशेषज्ञ बताते हुए निवेश के जरिए मोटा मुनाफा कमाने का प्रस्ताव दिया। उसने मुकेश को एक नामी कंपनी के ग्रुप से जोड़ा, जिसमें कई लोग जुड़े हुए थे। इस ग्रुप में ऑनलाइन क्लास के माध्यम से ट्रेडिंग के टिप्स दिए जाते थे।

मुनाफे का झांसा: ग्रुप में नकली स्क्रीनशॉट्स

ग्रुप में शामिल लोगों ने बड़े मुनाफे के स्क्रीनशॉट्स साझा किए, जिससे प्रभावित होकर मुकेश ने निवेश करने का फैसला किया। शुरुआत में उन्होंने 1.06 करोड़ रुपये का निवेश किया। पोर्टल पर उनके निवेश का मूल्य 2 करोड़ रुपये से अधिक दिखाया गया। जब उन्होंने रकम निकालने का प्रयास किया, तो उनसे टैक्स और अन्य शुल्कों के नाम पर 45 लाख रुपये और जमा कराए गए। इसके बाद, ठगों ने 55 लाख रुपये और मांगे, जिससे मुकेश को ठगी का शक हुआ।

नकली ऐप और फर्जी स्टॉक एक्सचेंज

जांच में पता चला कि ठगों ने फर्जी स्टॉक एक्सचेंज और एक नकली ऐप का इस्तेमाल किया, जिसमें रकम बढ़ती हुई दिखाई देती थी। असल में पीड़ित के खाते में कोई पैसा जमा नहीं हो रहा था। ऐप में मुनाफा दिखाने का उद्देश्य सिर्फ पीड़ित को झांसे में रखना था।

ठगी का पर्दाफाश

जब पीड़ित ने 55 लाख रुपये देने से इनकार किया, तो उन्हें ग्रुप से निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने गृह मंत्रालय के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। साइबर क्राइम पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, ग्रुप में जो लोग मुनाफे के स्क्रीनशॉट साझा कर रहे थे, वे भी ठग गिरोह के सदस्य थे। उनका काम सिर्फ नए निवेशकों को झांसा देना था।

ठगों की रणनीति: डार्क वेब से डेटा चोरी

जांच में पता चला है कि ठग डार्क वेब से ऐसे लोगों का डेटा खरीदते हैं जिनके खाते में बड़ी रकम हो। इनके निशाने पर अमूमन इंजीनियर, डॉक्टर, व्यापारी, रिटायर्ड अधिकारी और बुजुर्ग होते हैं। ठग पहले बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें निवेश के फर्जी योजनाओं में फंसाते हैं।

जांच की दिशा: बैंक खातों की ट्रैकिंग

पुलिस अब उन खातों की जानकारी जुटा रही है, जिनमें ठगी की रकम ट्रांसफर की गई। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ठगों ने पीड़ित का डेटा कैसे हासिल किया। इसके साथ ही, साइबर पुलिस ने अन्य संभावित पीड़ितों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

सतर्क रहने की सलाह

इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ऑनलाइन निवेश के नाम पर बड़ी ठगी हो सकती है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर पैसे निवेश न करें। अगर कोई फर्जी रिटर्न का वादा करता है, तो सतर्क रहें और किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

यह घटना यह दिखाती है कि कैसे साइबर अपराधी लोगों की मेहनत की कमाई को ठगने के लिए उन्नत तकनीकों और मनोवैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में सतर्कता और जागरूकता ही इन अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।

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