Friday, November 22, 2024
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Crime News Uttar Pradesh : पोते ने ली 100 साल की दादी की जान, परिजनों ने कहा – युवक पर आ गए थे देवता

Crime News Uttar Pradesh: यह घटना उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के रैपुरा थाना क्षेत्र के चारदहा गांव की है, जो अंधविश्वास और सामाजिक जागरूकता की कमी का एक स्पष्ट उदाहरण है। इस घटना में एक युवक ने अपनी 100 साल की दादी की जान ले ली। घटना के पीछे की मुख्य वजह अंधविश्वास और धार्मिक मान्यताओं का अत्यधिक प्रभाव बताया जा रहा है, जिसे रोकने के लिए समाज में जागरूकता की आवश्यकता है।

क्या हैं घटना | Crime News Uttar Pradesh

चारदहा गांव के निवासी मनोज ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। उसके परिवार के अनुसार, मनोज के ऊपर देवता ‘बरम बाबा’ का प्रभाव आ गया था, जिसके बाद वह आक्रामक हो गया। उसकी 100 वर्षीय दादी बुधिया, जो उस समय घर के अंदर चारपाई पर लेटी थी, मनोज की चीख-पुकार सुनकर उसके पास पहुंची।

दादी ने मनोज के व्यवहार को समझने की कोशिश की, लेकिन मनोज ने बिना किसी चेतावनी के अपनी दादी के नाक पर घूंसा मार दिया। यह घूंसा इतना जोरदार था कि बुधिया तुरंत जमीन पर गिर गई और तड़पने लगी। जब तक परिवार के अन्य सदस्य वहां पहुंचे, बुधिया की मौत हो चुकी थी।

अंधविश्वास का प्रभाव | Crime News Uttar Pradesh

यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त अंधविश्वास और धार्मिक भ्रांतियों का उदाहरण है। मनोज के परिवार का मानना था कि उस पर ‘बरम बाबा’ की सवारी आ गई थी, जो उन्हें आक्रामक बना देती है। इस प्रकार के अंधविश्वासों की जड़ें समाज में बहुत गहरी हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षा और जागरूकता की कमी है।

पुलिस की कार्रवाई 

इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मनोज को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बुधिया के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला अंधविश्वास के कारण हुई गैर इरादतन हत्या का है। पुलिस ने मनोज के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

अंधविश्वास और समाज

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या हम वाकई 21वीं सदी में रह रहे हैं, जहां विज्ञान और तर्क की बातें होती हैं, या फिर हम अभी भी उन्हीं अंधविश्वासों और धार्मिक भ्रांतियों के गुलाम हैं, जो हमें पिछड़ेपन की ओर धकेल रहे हैं?

भारत जैसे देश में, जहां विविधता और संस्कृति का अपार भंडार है, वहां इस प्रकार के अंधविश्वासों की जड़ें बहुत गहरी हैं। लोग देवताओं, भूत-प्रेतों और अन्य अदृश्य शक्तियों में विश्वास करते हैं और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं। यह सच है कि धार्मिक विश्वास और मान्यताओं का समाज में अपना स्थान है, लेकिन जब ये विश्वास जीवन और मृत्यु के सवालों पर हावी हो जाते हैं, तब वे खतरनाक हो जाते हैं।

जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज में शिक्षा और जागरूकता की कितनी कमी है। लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि अंधविश्वासों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और वे केवल समाज को पीछे धकेलते हैं। इसके लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जागरूकता फैल सके।

सरकार को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरूरत है। अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ सख्त कानून बनाकर और लोगों को जागरूक करके ही इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है। इसके साथ ही, धार्मिक नेताओं और समुदायों को भी आगे आकर लोगों को सही मार्गदर्शन देने की जरूरत है ताकि वे अंधविश्वासों से दूर रह सकें।

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