Ghrishneshwar Jyotirlinga : भारत में प्रत्येक देवी-देवता की अपनी विशेष मान्यता हैं। हिन्दू धर्म, में शिव जी की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है जिनका अपना अलग महत्त्व है। कहा जाता है कि इन 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद आकर अपने दर्शन दिए थे। इसलिए इन जगहों पर ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। इसी में से एक है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग। जिसकी (Ghrishneshwar Jyotirlinga) अपनी विशेष मान्यता और महत्त्व हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े रोचक तथ्य
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अंतिम ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता दी गई है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ghrishneshwar Jyotirlinga) का मंदिर स्थित हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। मंदिर में तीन द्वार मौजूद हैं। साथ ही गर्भगृह के सामने विशाल सभा मंडप बनाया गया है, जो पाषाण स्तंभों पर आधारित है। स्तंभों पर सुंदर और विशाल चित्रण और नक्काशी की गई है। इसके अलावा मंदिर के सभा मंडप में नंदी की मूर्ति भी विराजमान हैं।
संतान प्राप्ति का मिलता है वरदान
प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव जी ने घुश्मा नामक युवती की भक्ति से प्रसन्न होकर यहां दर्शन दिए थे। साथ ही युवती को संतान सुख का वरदान भी दिया था। मान्यता के मुताबिक, इस ज्योतिर्लिंग (Ghrishneshwar Jyotirlinga) के दर्शन से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही ज्योतिर्लिंग (Ghrishneshwar Jyotirlinga) के दर्शन मात्र से ही निसंतान जोड़ों को संतान प्राप्ति का वरदान मिलता हैं।