कर्नाटक में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब कांग्रेस मुख्यमंत्री को लेकर असमंजस की स्थिति में फंस गई है। कर्नाटक का सीएम बनने की रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर मुख्यमंत्री चुनने का फैसला फिलहाल कांग्रेस ने छोड़ रखा है। खड़गे फिलहाल भले ही कर्नाटक की राजनीति में उलझे हुए हों लेकिन इसके साथ ही उनकी नजर राजस्थान पर भी है। बताया जा रहा है कि खड़गे कर्नाटक में सरकार के गठन के बाद अब राजस्थान में चल रही गहलोत और सचिन की अनबन और विवाद पर फैसला लेंगे।
कर्नाटक के बाद राजस्थान पर फैसला
इसको लेकर AICC के राज्य सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन ने मंगलवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान में पार्टी नेताओं की गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और कर्नाटक में सरकार के गठन के बाद इस पर वो कोई निर्णय लेंगे। निजामुद्दीन ने कहा कि सचिन पायलट जी कांग्रेस के एक मजबूत स्तंभ हैं। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सभी गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए हैं और पूरा मामला उनके संज्ञान में है। गहलोत और सचिन के बीच विवाद बहुत दिनों से चल रहा है और कर्नाटक में स्थिति को संभालने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे इस बारे में निर्णय लेंगे, जहां पार्टी सरकार गठन के तौर-तरीकों पर काम कर रही है।
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दरअसल, कर्नाटक में तो बड़ी जीत हासिल करने के बाद भी मुख्यमंत्री चुनने को लेकर कांग्रेस उलझी हुई है। वहीं राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत और पायलट के बीच की तकरार नया मोड़ लेती जा रही है। दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे सचिन पायलट ने बीते दिनों ही ये ऐलान किया है कि इस महीने के अंत तक अगर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं होती, तो वो राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
गहलोत और पायलट में बढ़ता विवाद
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले में जांच की मांग को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपनी मांग पर कार्रवाई करने के लिए पहले सचिन पायलट ने बीते महीने एक दिन का अनशन किया था। इसके बाद कुछ ही दिनों पहले अजमेर से जयपुर तक पांच दिवसीय जन संघर्ष यात्रा भी निकाली, जो सोमवार को ही खत्म हुई है। इसके बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने राज्यव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली है। पायलट के अनुसार उनकी मांगों में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग कर इसका पुनर्गठन करना, पेपर लीक से प्रभावित हर युवा को उचित आर्थिक मुआवजा देना और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना शामिल है।
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