Congress: हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस हरियाणा में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन के लिए तैयार नहीं है। यह बयान तब आया है जब विपक्षी दलों के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही थीं।
कांग्रेस का आत्मविश्वास और हुड्डा की रणनीति
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साफ कर दिया कि कांग्रेस हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने में पूरी तरह सक्षम है। उनके अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीधा मुकाबला है, और अन्य पार्टियों के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है और हमें किसी अन्य दल के साथ गठबंधन करने की जरूरत नहीं है।”
हुड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का अन्य दलों के साथ गठबंधन हो सकता है, लेकिन राज्य स्तर पर ऐसा कोई गठबंधन नहीं होगा। उन्होंने इनेलो-बसपा गठबंधन पर भी टिप्पणी की और कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया है कि मुकाबला केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच है।
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समाजवादी पार्टी की हरियाणा में दावेदारी | Congress
इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपना हिस्सा मांग रही है। सपा का दावा है कि हरियाणा में 11 सीटें यादव बहुल और 7 सीटें मुस्लिम बहुल हैं, जिनमें से सपा 5 सीटों पर दावा कर रही है। सपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि अगर हरियाणा में उन्हें सीटें नहीं दी गईं, तो यूपी के उपचुनाव में भी कांग्रेस को सीटें नहीं दी जाएंगी।
सपा ने कांग्रेस नेतृत्व को याद दिलाया है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बहुत कमजोर थी। कई सीटों पर कांग्रेस को 10,000 वोट भी नहीं मिले थे, और कुछ सीटों पर तो उन्हें 2,000 वोट से भी कम मिले थे। सपा का यह रुख कांग्रेस के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि हरियाणा और महाराष्ट्र में सीटें न मिलने पर यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रभावित हो सकता है।
सपा-कांग्रेस के बीच गतिरोध | Congress
सपा के दावों के बावजूद, हरियाणा में कांग्रेस की राज्य इकाई सपा के साथ सीटें साझा करने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हरियाणा में सपा का कोई जनाधार नहीं है और इसलिए उन्हें सीटें देने का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि महाराष्ट्र और हरियाणा में सीटें न मिलने पर यूपी में कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी जाएगी।
यह राजनीतिक गतिरोध केवल हरियाणा तक ही सीमित नहीं है। यूपी में उपचुनावों के लिए सीटों का बंटवारा हरियाणा और महाराष्ट्र में सपा की दावेदारी पर निर्भर करेगा। अगर सपा को इन राज्यों में सीटें नहीं मिलीं, तो यूपी में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सपा के इस रुख से कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है कि वह हरियाणा और महाराष्ट्र में सपा को सीटें देने पर विचार करे।
हरियाणा में कांग्रेस की चुनावी रणनीति
हरियाणा में कांग्रेस की चुनावी रणनीति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका महत्वपूर्ण है। हुड्डा न केवल राज्य के एक वरिष्ठ नेता हैं, बल्कि उनकी जमीनी पकड़ भी मजबूत है। उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया है और भाजपा के खिलाफ सीधा मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में भाजपा के खिलाफ जनमत तैयार है और कांग्रेस इस बार मजबूती से चुनाव लड़ेगी।
हुड्डा के बयान से यह साफ है कि कांग्रेस हरियाणा में किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करने के बजाय अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास हरियाणा में मजबूत संगठन है और भाजपा को हराने के लिए पार्टी पूरी तरह तैयार है।
सपा और कांग्रेस के बीच की संभावनाएं
सपा और कांग्रेस के बीच की संभावनाएं हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद यूपी उपचुनावों में देखी जा सकती हैं। अगर सपा को हरियाणा में सीटें नहीं मिलती हैं, तो यूपी में कांग्रेस को सपा से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। सपा का यह रुख कांग्रेस के लिए एक गंभीर संकेत है कि उसे गठबंधन की राजनीति में सावधानी बरतनी चाहिए।