स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने आईटी नियमों में संशोधन के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है, जो सरकार को सोशल मीडिया पोस्ट की तथ्य-जांच करने की अनुमति देता है। स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम 2021) में एक खंड को पलटने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023 को 6 अप्रैल को अधिसूचित कर दिया है। दरअसल, नए नियमों के तहत सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़ को केंद्र सरकार से जुड़ी सामग्री को सेंसर या संशोधित करना होगा, अगर सरकार समर्थित फैक्ट चेकिंग बॉडी उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देश देता है। अधिसूचना के बाद, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और सोशल मीडिया बिचौलियों को किसी भी फर्जी खबर के खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने कामरा के मुकदमे की जांच करना स्वीकार कर लिया है, जो सरकार के उस नियम को चुनौती देता है, जिसमें उसे झूठी खबरों का पता लगाने और किसी भी सरकारी गतिविधि के संबंध में भविष्य की कार्रवाई के लिए इसे लेबल करने के लिए अधिकृत किया गया था। कामरा की याचिका के बाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में अपना जवाब कोर्ट को दे। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 21 नवंबर को करेगा।
कुणाल कामरा का तर्क
कामरा की ओर से नवरोज सीरवई ने तर्क दिया कि नियमों ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन किया है, जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। तर्क के अनुसार, नियमों का द्रुतशीतन प्रभाव होगा। सीरवई के अनुसार, वो ऐसे नियमों को चुनौती दे रहे हैं, क्योंकि वे निर्धारित उचित प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते हैं। सरकार फर्जी समाचारों की पहचान नहीं कर सकती है क्योंकि ऐसा करने से सरकार को अपने ही मामले में न्याय मिलेगा, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में। सीरवई ने जोर देकर कहा कि फर्जी खबरों से निपटने के लिए सोशल मीडिया बिचौलियों की अपनी नीतियां हैं।