CBI caught DRM taking bribe: सीबीआई ने रिश्वतखोरी के मामले में ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन, विशाखापटनम के एक वरिष्ठ अधिकारी और दो निजी कंपनियों के मालिकों को गिरफ्तार किया है। ये मामला रेलवे द्वारा दो कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को कथित रूप से कम कराने के लिए 25 लाख रुपये की डील से जुड़ा है। आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही सीबीआई ने इनके ठिकानों पर छापेमारी कर नकदी और दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
गिरफ्तार आरोपियों में वाल्टेयर डिवीजन, विशाखापटनम के डीआरएम सौरभ प्रसाद, मुंबई की निजी कंपनी के प्रोपराइटर सनील राठौड़ और पुणे स्थित एक अन्य कंपनी के मालिक आनंद भगत शामिल हैं। रेलवे ने इन दोनों कंपनियों पर तीन करोड़ 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना अनुबंध की शर्तों का पालन न करने के कारण लगाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, इस जुर्माने को कम कराने के लिए दोनों कंपनी मालिकों ने डीआरएम से संपर्क किया। बातचीत के बाद कथित रूप से 25 लाख रुपये की रिश्वत की डील तय हुई।
सीबीआई ने बिछाया जाल
सीबीआई को इस लेनदेन की सूचना पहले से ही मिल चुकी थी। जांच एजेंसी ने पूरी योजना बनाई और रिश्वत की रकम के लेनदेन के दौरान डीआरएम सौरभ प्रसाद को मुंबई में रंगे हाथ पकड़ लिया। उनके साथ ही दोनों निजी कंपनी मालिकों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 87 लाख रुपये नकद, 72 लाख रुपये के मूल्य के अन्य दस्तावेज और संपत्ति के कागजात बरामद किए गए।
रिश्वतखोरी की परतें खुलने की संभावना
सीबीआई ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस भ्रष्टाचार के नेटवर्क में कहीं अन्य रेलवे अधिकारी या कर्मचारी भी तो शामिल नहीं हैं।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी का इस तरह का मामला सामने आना न केवल प्रशासनिक प्रणाली बल्कि रेलवे की छवि पर भी सवाल खड़े करता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम
इस घटना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह मामला दिखाता है कि देश में सरकारी तंत्र और निजी क्षेत्र के बीच मिलीभगत किस तरह से भ्रष्टाचार को जन्म देती है। सीबीआई की त्वरित कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि दोषियों को उनके अपराध की सजा मिलेगी।
रेलवे जैसे महत्वपूर्ण विभाग में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना आवश्यक है। यह घटना सरकारी संस्थानों के भीतर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त निगरानी और कठोर कार्रवाई की जरूरत को उजागर करती है।