जैसा कि सूरत की अदालत ने अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनाव की रैली के दौरान दिए गए अपने बयान के लिए राहुल गांधी को मानहानि का दोषी ठहराया गया है, जिसमें उन्होंने कहा गया था कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है?”। अपने इस बयान में राहुल ने पीएम मोदी को घेरते हुए ललित मोदी और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों का जिक्र भी दिया था। उनके इस बयान को लेकर कोर्ट ने राहुल को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
एक ओर जहां कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपने इस बयान को लेकर जबरदस्त विवादों में घिरे हुए हैं। इस बीच एक और खबर है ये आ रही है कि वाराणसी कोर्ट से राहुल को राहत मिली है। दरअसल, गुरुवार को वाराणसी की एक अदालत ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अपने भाषण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि राहुल के खिलाफ याचिका बीजेपी के एक सदस्य वकील शशांक शेखर त्रिपाठी नेता द्वारा दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि राहुल ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में जो भाषण दिया वो विभाजनकारी और भारत के संविधान की भावना के खिलाफ था।
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लेकिन वाराणसी अदालत के समक्ष दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है। गौरतलब है कि बजट सत्र के दौरान बीजेपी नेताओं के द्वारा संसद में लगातार राहुल गांधी से इन्हीं बयान को लेकर माफी मांगने की मांग की जा रही है।
वहीं गुरुवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की सूरत कोर्ट से बड़ा झटका लगा। अप्रैल 2019 में एक लोकसभा चुनाव रैली के दौरान राहुल गांधी की मानहानि से संबंधित मामले की सुनवाई की। उनको दो साल की सजा हुआ। बहरहाल, न्यायाधीश ने उन्हें जमानत दे दी और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपील दायर करने की अनुमति दी।