उत्तर प्रदेश में लंबित नगर निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार की ओर से नियुक्त किए गए पैनल को अगले तीन महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा। कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि ये सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय निकायों का प्रशासन बाधित ना हो, यह उत्तर प्रदेश सरकार कार्यकाल समाप्त होने के बाद अधिकारों को प्रत्यायोजित करने के लिए स्वतंत्र होगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया की। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिन प्रशासकों को उनकी शक्तियां सौंपी जाएंगी। वे बड़े नीतिगत फैसले नहीं लेंगे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। पीठ ने निर्देश दिया कि आयोग को 31 मार्च तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा।
जानें क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, 5 दिसंबर को यूपी सरकार ने नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण सूची जारी की थी। इस आरक्षण सूची के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था। उनका कहना था कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण सूची जारी करने में ट्रिपल टेस्ट के फॉर्मूले का पालन नहीं किया था और न ही कोई ओबीसी कमीशन बनाया गया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया था और सरकार से जनवरी में नगर निकाय चुनाव कराने का फरमान जारी किया था। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार को ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए एक डेडिकेटेड आयोग का गठन करना चाहिए था, जिससे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन हो सके ।
हाई कोर्ट के इस फैसले से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा था। जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि UP में नगर निकाय चुनाव ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद ही होगा।
आपको बता दें फिलहाल यह रोक तीन हफ्ते तक की है, तब तक सरकार को बताना होगा कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट कितनी जल्दी आ सकती है. इसके बाद ही साफ हो पाएगा कि यूपी में नगर निकाय चुनाव कब होगा, लेकिन ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर घिरी यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है।