Bengaluru Murder: सितंबर का महीना कर्नाटक के बेंगलुरु के वायलिकावल इलाके में एक खौफनाक वारदात लेकर आया। इस इलाके में एक फ्लैट में रहने वाली 29 साल की महालक्ष्मी की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस हत्या के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चला, सब कुछ सामान्य तरीके से चलता रहा, जब तक कि महालक्ष्मी की मां, मीना राणा, वहां नहीं पहुंची।
फोन बंद और बेचैनी
महालक्ष्मी का फोन कई दिनों से बंद था, जिससे उसकी मां और जुड़वा बहन लक्ष्मी काफी चिंतित हो गईं। 21 सितंबर को, दोनों जब महालक्ष्मी के फ्लैट पर पहुंचीं, तो सामने जो दृश्य था, उसने उनके होश उड़ा दिए।
खौफनाक दृश्य और शव के टुकड़े | Bengaluru Murder
जब उन्होंने फ्लैट का दरवाजा खोला, तो वहां खून के धब्बे, बिखरा सामान और तेज बदबू ने उनका स्वागत किया। खून के धब्बे कमरे में फ्रिज तक जा रहे थे। जैसे ही मीना ने फ्रिज का दरवाजा खोला, उन्होंने देखा कि वहां इंसानी शरीर के 30 से 40 टुकड़े पड़े थे। फ्रिज के निचले हिस्से में महालक्ष्मी का कटा हुआ सिर था। मां की चीख सुनकर वहां और भी लोग जमा हो गए और तुरंत पुलिस को बुलाया गया।
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पुलिस की जांच | Bengaluru Murder
पुलिस ने जब फ्लैट में प्रवेश किया, तो वहां की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि खड़ा रहना मुश्किल था। फोरेंसिक टीम को बुलाया गया और शव के 59 टुकड़े बरामद किए गए। अब सबसे बड़ा सवाल था कि महालक्ष्मी का कातिल कौन है? पुलिस जांच की शुरुआत महालक्ष्मी के रिश्तेदारों और परिचितों से पूछताछ से की।
महालक्ष्मी का जीवन: शादी, तलाक और संघर्ष
महालक्ष्मी की मां ने पुलिस को बताया कि वे मूल रूप से नेपाल के टीकापुर इलाके के रहने वाले हैं और 35 साल पहले बेंगलुरु शिफ्ट हो गए थे। महालक्ष्मी और उसकी जुड़वा बहन लक्ष्मी के साथ, परिवार में दो बेटे भी थे। महालक्ष्मी की शादी नेलमंगला इलाके में रहने वाले हेमंत दास से हुई थी, जो एक मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाता था। शादी के कुछ साल बाद दोनों के बीच मतभेद पैदा हो गए, और वे अलग हो गए। इसके बाद महालक्ष्मी वायलिकावल इलाके में अकेले रहने लगी थी।
हेमंत पर शक और अशरफ की जांच
पुलिस ने सबसे पहले महालक्ष्मी के पूर्व पति हेमंत से पूछताछ की। उन्हें शक था कि शायद उनके बीच के मतभेद हत्या का कारण हो सकते हैं। हेमंत ने पुलिस को बताया कि महालक्ष्मी का एक हेयर ड्रेसर अशरफ के साथ अफेयर चल रहा था और संभवतः वही उसकी हत्या में शामिल हो सकता है। अशरफ महालक्ष्मी को अक्सर घर छोड़ने आता था।
पुलिस ने अशरफ को हिरासत में लिया और उससे लंबी पूछताछ की। उसकी कॉल डिटेल्स, लोकेशन और अन्य सबूतों की जांच के बाद पुलिस को कोई ठोस सबूत नहीं मिला, जिससे अशरफ को रिहा कर दिया गया।
सीसीटीवी फुटेज और नए सुराग
पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें 2 सितंबर की रात को महालक्ष्मी के घर के बाहर दो लोग स्कूटी पर आते दिखे। हालांकि, फुटेज में उनके चेहरे स्पष्ट नहीं थे। पुलिस ने जांच तेज कर दी और अब उन्हें महालक्ष्मी की हत्या के पीछे किसी तीसरे शख्स का हाथ होने का अंदेशा होने लगा था।
मुक्ति रंजन रॉय: कातिल की पहचान
जांच के दौरान पुलिस को एक सुराग मिला, जिससे मामले में बड़ी प्रगति हुई। महालक्ष्मी की हत्या के बाद, कातिल ने खुद अपने भाई को फोन कर इस बात की जानकारी दी थी। कातिल का नाम था मुक्ति रंजन रॉय, जो बेंगलुरु में एक कपड़े की दुकान में काम करता था। मुक्ति का परिवार मुंबई में रहता था, और पुलिस ने उसके भाई से संपर्क किया।
सुसाइड और डेथ नोट
जांच के दौरान पता चला कि मुक्ति रंजन ओडिशा भाग गया था। पुलिस जब उसकी तलाश में थी, तब 25 सितंबर को ओडिशा के भद्रक शहर में मुक्ति रंजन का शव मिला। उसने सुसाइड कर लिया था। मौके से पुलिस को एक डायरी और डेथ नोट मिला।
डेथ नोट में मुक्ति रंजन ने कबूल किया कि उसने 3 सितंबर को महालक्ष्मी की हत्या कर दी थी। नोट में उसने लिखा, “हमारे बीच बहस हुई थी, और गुस्से में आकर मैंने उसे मार डाला। उसके बाद मैंने उसकी लाश के 59 टुकड़े किए और उन्हें फ्रिज में रख दिया।” उसने यह भी लिखा कि हत्या के बाद उसे पछतावा हुआ था, लेकिन डर के कारण वह भाग गया था।
सुसाइड से पहले की गतिविधियां
मुक्ति रंजन 24 सितंबर को ओडिशा के फंडी गांव में अपने घर पहुंचा था। वह कुछ समय के लिए घर पर रहा और फिर रात को स्कूटी से बाहर चला गया। वह अपने साथ लैपटॉप लेकर गया था और उसके बाद उसका कोई अता-पता नहीं चला। अगले दिन उसका शव एक कब्रिस्तान में लटका हुआ मिला। पुलिस ने इस सुसाइड के बाद महालक्ष्मी हत्याकांड को सुलझा हुआ मान लिया।
महालक्ष्मी की हत्या की इस दिल दहला देने वाली घटना ने बेंगलुरु को झकझोर दिया। पुलिस ने अपनी तेज़ और प्रभावी जांच के चलते मामले को सुलझा लिया। हालांकि, इस घटना ने कई सवाल भी उठाए कि क्यों ऐसे व्यक्तिगत विवाद इस हद तक बढ़ जाते हैं कि किसी की जान चली जाती है।