Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच, शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस बीच उनका हेलीकॉप्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचा। बांग्लादेश में इस उथल-पुथल के दौरान, भारत सरकार ने त्वरित और निर्णायक कदम उठाए। शेख हसीना के विमान को संभावित खतरे से बचाने में भारतीय एजेंसियां और उच्चस्तरीय अधिकारी पूरी तरह से सक्रिय हो गए। इस पूरी घटनाक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। इस लेख में हम इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि, घटनाओं के क्रम और भारत के हस्तक्षेप के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
बांग्लादेश की राजनीति में पिछले कुछ महीनों से उथल-पुथल मची हुई थी। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तीव्र संघर्ष और विरोध प्रदर्शनों ने सरकार के स्थायित्व पर सवाल खड़े कर दिए थे। शेख हसीना, जो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं, उनके नेतृत्व पर विपक्ष ने बार-बार हमले किए। इस बीच, सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली कि शेख हसीना के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थिति बिगड़ने पर शेख हसीना ने भारत से सहायता की मांग की। भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक और घनिष्ठ संबंध रहे हैं, और इस संकट की घड़ी में भारत ने तुरंत मदद का आश्वासन दिया। शेख हसीना का हेलीकॉप्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर सुरक्षित पहुंचाया गया।
हसीना के एयरक्राफ्ट ने बताए गए हवाई मार्ग को फॉलो किया। इस दौरान राफेल, भारतीय सुरक्षा अधिकारी और जमीनी एजेंसियां पूरी गतिविधि पर बारीकी से नजर रखें रहीं। भारतीय वायु सेना और थल सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भी स्थिति पर बारीकी से नजर रखी। जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व किया। उनकी तेज और निर्णयात्मक सोच ने इस मिशन को सफल बनाया। डोभाल ने तुरंत भारतीय वायुसेना, खुफिया एजेंसियों और अन्य संबंधित विभागों को सक्रिय कर दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि शेख हसीना के विमान को किसी भी तरह का खतरा न हो।
इस ऑपरेशन की योजना में कई महत्वपूर्ण कदम शामिल थे। पहले, शेख हसीना के विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष वायुसेना दल तैनात किया गया। हिंडन एयरबेस पर विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए थे ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। अजीत डोभाल ने खुद इस मिशन की निगरानी की और नियमित अपडेट प्राप्त करते रहे।
इस घटनाक्रम का भारत-बांग्लादेश संबंधों पर गहरा असर पड़ा। भारत ने जिस तरह से शेख हसीना की मदद की, उससे दोनों देशों के बीच विश्वास और भी मजबूत हुआ। बांग्लादेश में स्थिरता लाने के लिए भारत ने अपने सहयोग का आश्वासन दिया और यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी संकट की घड़ी में भारत बांग्लादेश के साथ खड़ा रहेगा।
इस ऑपरेशन में भारतीय सेना और वायुसेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने न केवल शेख हसीना के विमान की सुरक्षा सुनिश्चित की बल्कि ऑपरेशन के दौरान हर कदम पर सतर्कता बरती। वायुसेना के विशेष दल ने हिंडन एयरबेस पर पूरी सुरक्षा व्यवस्था की और किसी भी संभावित खतरे को नाकाम कर दिया।
शेख हसीना के बचाव अभियान का राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहा। भारत ने इस ऑपरेशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह संदेश दिया कि वह अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, इस अभियान ने बांग्लादेश में भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को और भी मजबूत किया।
इस हिंसा में अब तक 300 लोगों की मौत हो गई. प्रदर्शनकारी शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. हसीना ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। जैसे ही हसीना के इस्तीफे की खबर फैली, उग्र भीड़ सड़कों पर उतर आई। कुछ लोगों ने उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को तोड़ दिया। राष्ट्र के नाम संबोधन में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने घोषणा की कि एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी और उन्होंने देश की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अधिकांश राजनीतिक दलों के सदस्यों से मुलाकात की है।