Thursday, November 21, 2024
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इस ऐतिहासिक मंदिर में स्त्री रूप में विराजमान हैं बजरंग बली, जानिए क्या कहता है इतिहास

Hanuman ji : भारत अपने अद्भुत ऐतिहासिक और विविध मंदिरों और जगहों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। देश में कई ऐसे मंदिर है जिसका अपना ही महत्व है। देश में बिलासपुर के पास स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के वेश में नजर आते हैं। बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर रतनपुर में महामाया नगरी में बजरंग बली के दरबार से कोई भी निराश नहीं लौटता है। यहां पर आए सभी भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। इस प्राचीन मंदिर का रहस्य लगभग दस हजार वर्ष पुराना है।

 

दक्षिण मुखी हनुमान जी की इस मूर्ति में पाताल लोक का चित्रण भी हैं। मूर्ती में बजरंग बली, बाएं पैर से रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दिख रहें है और दाएं पैर से कसाई दबा का। अष्ट सिंगार से युक्त उस मूर्ति के बायें कंधे पर श्री राम जी और दूसरे पर लक्ष्मण जी के स्वरूप विराजमान थे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 84 किलोमीटर दूर रमई पाट में भी एक ऐसी ही हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है।

जानिए किसने करवाया था निर्माण

पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू एक दिन अपने शारीरिक अस्वस्थता के बारे में सोच रहें थे। राजा होने के बावजूद भी वे किसी काम के नहीं थे क्योंकि उन्हें कोढ़ का रोग था। तमाम दवाइयों के बावजूद भी वे ठीक नहीं हुए। वे सोचते थे कि न तो वो किसी को स्पर्श कर सकते थे और न ही किसी के साथ रमण, ऐसे जीवन से अच्छा है कि वो मर जाएं। ये सब सोचते-सोचते ही वो सो गए और उन्होंने सपने में देखा हनुमान जी को। लेकिन हनुमान जी का भेष देवी सा था, पर वो देवी नहीं थी, लंगूर जैसे थे पर पूंछ नहीं थी, एक हाथ में लड्डू से भरी थाली थी और दूसरे में राम मुद्रा अंकित थी। साथ ही कानों में कुंडल, माथे पर मुकुट, गले में माला थी। हनुमान जी राजा से कहते है, हे राजन् मैं तेरी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं। मैं तेरा कष्ट जरूर दूर करुंगा लेकिन इससे पहले तू एक मंदिर का निर्माण करवा जिसमें मुझे बैठा। साथ ही मंदिर के पीछे तालाब बना, उसमें स्नान कर और मेरी विधिवत् पूजा कर। ये सब कार्य करने से तेरे शरीर में हुए कोढ़ का विनाश हो जाएगा।

 

राजा ने जल्द से जल्द विद्धानों से सलाह ली और गिरजाबन्ध में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया। हालांकि इस बीच राजा के सपने में हनुमान जी फिर आए और कहा मां महामाया के कुण्ड में मेरी एक मूर्ति रखी हुई है। तू उसी मूर्ति को यहां ला और इस मंदिर में स्थापित करवा। जिसके बाद राजा ने उस मूर्ती को ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन कुण्ड में कहीं भी मूर्ति नहीं मिली। विश्राम करते समय राजा को नींद आई। जिसमें फिर हनुमान जी आए और राजा से कहा तू उदास मत हो मैं वहीं पर हूं तूने ठीक से ढूंढा नहीं, जा एक बार फिर वहां देख जहां से लोग पानी लेते है, स्नान करते है। दूसरे दिन राजा वहां गए और समुंद्र से उन्हें मूर्ति मिल गई। राजा ने जिस अदभुत मूर्ति को अपने सपने में देखा था, वो एकदम वैसी ही थी। राजा ने बिना देरी करें मूर्ति को विधिविधान से विरजवान करावाया। उस समय से ही  यहां पर दर्शन करने आए सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

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