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Aspirants in Prayagraj Protest Against UPPSC: प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन पर आया उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का फैसला, एक दिन में होगा UPPSC का एक पेपर, RO-ARO परीक्षा स्थगित

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Aspirants in Prayagraj Protest Against UPPSC

Aspirants in Prayagraj Protest Against UPPSC: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर प्रतियोगी छात्रों का एक बड़ा आंदोलन चल रहा है, जिसमें छात्रों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन का मुख्य कारण UPPSC द्वारा परीक्षाओं के आयोजन में पारदर्शिता और प्रक्रिया में बदलाव की मांग को लेकर है। छात्रों का कहना है कि परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को सही तरीके से लागू किया जाए और RO/ARO परीक्षा समेत अन्य परीक्षाओं में निष्पक्षता और एकरूपता सुनिश्चित की जाए।

UPPSC का निर्णय: एक दिन में PCS परीक्षा

प्रदर्शन के चलते उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। आयोग के अध्यक्ष संजय श्री नेत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यूपी PCS 2024 की प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाएगा। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद लिया गया। इस निर्णय से कई छात्रों में संतोष की भावना जागृत हुई है, लेकिन कई छात्रों ने इसे अधूरा बताते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है।

RO-ARO परीक्षा स्थगित और नई कमेटी का गठन

UPPSC ने RO/ARO परीक्षा के मामले को लेकर भी कदम उठाए हैं। RO-ARO परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है, और इसके लिए एक कमेटी गठित की गई है जो परीक्षा के पैटर्न और प्रक्रिया पर विचार करेगी। लेकिन यह कदम प्रदर्शनकारी छात्रों को संतुष्ट करने में सफल नहीं हुआ। उनका कहना है कि जब तक RO/ARO भर्ती परीक्षा को लेकर स्पष्ट और ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार पर “फूट डालो और राज करो” नीति का आरोप

प्रदर्शनकारी छात्रों का मानना है कि UPPSC के फैसले का उद्देश्य केवल छात्रों के एक वर्ग को संतुष्ट करना है, जबकि अन्य वर्ग की अनदेखी की गई है। उन्होंने इसे “फूट डालो और राज करो” की नीति बताते हुए कहा कि यह छात्रों के अधिकारों का हनन है और परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि RO/ARO परीक्षा का मुद्दा उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसी वजह से वे अपना आंदोलन तब तक नहीं समाप्त करेंगे जब तक इस संबंध में आयोग ठोस निर्णय नहीं लेता।

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सियासी हस्तक्षेप: अखिलेश यादव और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

छात्रों के इस आंदोलन को विपक्ष के नेताओं ने भी समर्थन दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस आंदोलन के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि “पढ़ने वाले छात्रों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है, जो प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।” उन्होंने पुलिस द्वारा दिव्यांग छात्राओं से बैसाखी छीनने की घटना को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना था कि यह छात्रों का लोकतांत्रिक अधिकार है, और उन्हें न्याय मिलना चाहिए।

वहीं, कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने भी छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि “प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार और UPPSC का रवैया असंवेदनशील और दुर्भाग्यपूर्ण है। नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गैर-पारदर्शी व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया जा सकता।” उन्होंने भाजपा सरकार पर छात्रों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया और कहा कि वे इस संघर्ष में छात्रों के साथ हैं।

आंदोलन के कारण और छात्रों की मांगें

प्रयागराज में चल रहे इस आंदोलन का मुख्य कारण है परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और RO/ARO परीक्षा को लेकर छात्रों के मन में उत्पन्न हुई असुरक्षा। छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के नाम पर परीक्षाओं में धांधली हो रही है और इस प्रक्रिया को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। वे चाहते हैं कि परीक्षा के आयोजन में सभी उम्मीदवारों के साथ निष्पक्षता बरती जाए। छात्रों का यह भी मानना है कि एक ही दिन में परीक्षा आयोजित करने से पारदर्शिता और निष्पक्षता में सुधार आएगा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रयागराज के डीएम रवीन्द्र कुमार ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि UPPSC जल्द ही PCS परीक्षा की तारीख घोषित करेगा। प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि छात्रों द्वारा की गई सभी मांगों पर विचार किया जा रहा है और इसके लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, छात्रों का कहना है कि जब तक उनके सभी मुद्दों का संतोषजनक समाधान नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों का यह आंदोलन उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। छात्रों की मांगें जायज हैं और वे चाहते हैं कि परीक्षा प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जाए। यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा किए गए फैसलों में कुछ बदलाव जरूर लाए गए हैं, परंतु सभी वर्गों को संतुष्ट करने में यह निर्णय सफल नहीं हुआ है। छात्रों का मानना है कि RO/ARO परीक्षा के लिए अब भी ठोस और अंतिम निर्णय की आवश्यकता है। छात्रों का यह आंदोलन न केवल उनकी मांगों को आवाज देने का साधन है, बल्कि यह प्रशासन के समक्ष एक चुनौती भी पेश करता है कि वे परीक्षाओं के आयोजन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करें।