Supreme Court : भारत के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को चार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्तियों के संबंध में अपने पिछले प्रस्तावों में बदलाव किए हैं। ये बदलाव मेघालय, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के उच्च न्यायालयों के लिए किए गए हैं। इन सिफारिशों से पहले, जुलाई 2024 में जो प्रस्ताव पारित किया गया था, उसमें न्यायमूर्ति कैत को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति संधावालिया को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और न्यायमूर्ति रबस्तान को मेघालय उच्च न्यायालय के लिए अनुशंसित किया गया था। लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार, इन न्यायाधीशों को अन्य उच्च न्यायालयों के लिए सिफारिश की गई है।
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Toggle11 जुलाई के प्रस्ताव में की गई सिफारिश
नए प्रस्ताव के अनुसार, निम्नलिखित न्यायाधीशों को इन उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए सिफारिश की गई है:
- न्यायमूर्ति इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी – मेघालय उच्च न्यायालय।
- न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय।
- न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया – हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय।
- न्यायमूर्ति ताशी रबस्तान – जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय।
इन न्यायमूर्तियों के प्रस्तावों में किया बदलाव
न्यायमूर्ति इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी इस सूची में नए हैं और उन्हें मेघालय उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर के अक्टूबर 2024 में सेवानिवृत्त होने के कारण, न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया को उनके स्थान पर नियुक्त करने की सिफारिश की गई है। पहले की सिफारिश में न्यायमूर्ति शकधर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति के मद्देनजर कॉलेजियम ने अपना प्रस्ताव बदल दिया है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत, जिन्हें पहले जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी, अब उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।
कॉलेजियम का यह प्रस्ताव क्यों है महत्वपूर्ण
कॉलेजियम का यह प्रस्ताव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में की गई पिछली सिफारिशों में संशोधन करते हुए नए न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है। यह प्रस्ताव न्यायिक प्रक्रिया की गति और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए यह आवश्यक है कि उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति तेजी से की जाए।
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