Anupam Kher: बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकारों में से एक अनुपम खेर आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं। अनुपम ने 90 के दशक से अब तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई हुई हैं। अनुपम एक्टिंग के साथ- साथ सामाजिक मुदों पर भी अपनी राय रखते नजर आते हैं।
वहीं हाल ही में इंडस्ट्री की जानी मानी हस्ति रत्ना पाठक ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने एक्टिंग स्कूल को दुकान बताया था। अब उनके इस बयान पर अनुपम खेर ने प्रतिक्रिया दी है। बता दें कि अनुपम का भी एक एक्टिंग स्कूल हैं।
सामने आया अनुपम का रिएक्शन
आपको बता दें कि हाल ही में अनुपम से एक इंटरव्यू के दौरान रत्ना पाठक के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने रत्ना से असहमति जाहिर की है। हालांकि, उन्होंने ये जरुर कहा कि ये उनकी (रत्ना) निजी राय है। इसमें आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि रत्ना और नसीर दोनों स्वयं अभिनय का प्रशिक्षण देने वाली संस्थान, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से हैं।
अनुपम ने कहा, ‘यह उनका अपना नजरिया है। मैं नसीर जी का इंटरव्यू भी देख रहा था, वह भी ऐसा कुछ ही कह रहे थे। दोनों स्व्यं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़े हैं, क्या वो एनएसडी को भी एक दुकान कहेंगे? कभी-कभी इंसान कड़वाहट में ऐसा कुछ बोल जाता है। वो क्या सोचते हैं, इसे उचित ठहराना मेरा काम नहीं है। अगर वह सोचते हैं कि यह एक दुकान है तो मुझे उससे कोई परेशानी नहीं है’। अनुपम खुद भी एक एक्टिंग स्कूल चलाते हैं।
उन्हें इसकी प्रेरणा एक अभिनेता को देखकर हुई, जो वैसे तो काफी सहज था, लेकिन कैमरे के सामने आते ही घबरा रहा था। इसके बाद उन्होंने नए अभिनेताओं में एक सहजता लाने के मकसद से एक्टिंग स्कूल की नींव रखी। इसमें आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा,’मैंने सोचा कि मैं एक एक्टिंग स्कूल खोलूं, जहां लोगों को अभिनय सिखा सकूं।
लोग कहते हैं कि ये एक दुकान है, लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें इस विषय पर दोबारा सोचना चाहिए। एक्टिंग स्कूल भविष्य के कलाकारों को तैयार कर रहे हैं। हमारे यहां पत्रकारिता के लिए स्कूल है, दांत के डॉक्टरों की शिक्षा के लिए स्कूल हैं। क्या रत्ना उन दांत के डॉक्टरों के पास जाती हैं, जो कभी स्कूल नहीं गए’।
लोगों की अच्छाईयां देखते है अनुपम
गौरतलब है कि जब अनुपम से पूछा गया कि क्या दोनों की विचारधाराओं में अंतर की वजह से उनके संबंधों में कोई कड़वाहट आई है। इस पर उन्होंने कहा, “मैं लोगों में उनकी अच्छाईयों को देखता हूं। किसी बुरे इंसान में भी कुछ अच्छाईयां हो सकती हैं। एक वाकया बताते हुए अनुपम ने कहा, मुझे याद है जब मैंने पहली कार खरीदी थी, मैं इसे लेकर महबूब स्टूडियो पहुंचा था।
नसीर अपने कार में वहां मौजूद थे। जिस गर्मजोशी से उन्होंने मुझसे बात की वह मैं कभी नहीं भूल सकता। नसीर जी ने कहा था, वाह अनुपम! तुमने आखिरकार कार ले ही ली’।” अनुपम ने आगे कहा, ‘मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वह (नसीरुद्दीन) मेरे बारे में क्या-क्या बोलते हैं , मुझे उनका वही गर्मजोशी भरा भाव याद रहेगा’।