Friday, October 18, 2024
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India – Canada: कनाडा में भारत के खिलाफ फिर साजिश की कोशिश, जानिए क्या है कनिष्क बॉम्बिंग ?

India – Canada: एयर इंडिया फ्लाइट 182, जिसे “कनिष्क” नाम से भी जाना जाता है, की बमबारी 23 जून 1985 को हुई थी। यह घटना उस समय की सबसे भीषण आतंकवादी घटनाओं में से एक थी, जिसमें 329 लोगों की जान चली गई थी। फ्लाइट कनाडा के टोरंटो से भारत जा रही थी और आयरलैंड के तट के पास विस्फोट हो गया, जिससे सभी यात्री और क्रू सदस्य मारे गए। इस हमले के लिए खालिस्तानी आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। अब, 39 साल बाद, इस मामले को लेकर कनाडा में फिर से जांच की मांग उठ रही है, जिससे भारतीय मूल के कई नेता और पीड़ित परिवारों ने विरोध जताया है।

पहली और दूसरी जांच में क्या हुआ ?

कनिष्क बमबारी की पहली जांच में यह निष्कर्ष निकाला गया कि खालिस्तानी आतंकियों का इस हमले में हाथ था। इस जांच के बाद कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, हालांकि, कई लोगों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। इसके बाद, इस मामले को लेकर कनाडा में पीड़ित परिवारों और जनता का दबाव बढ़ा, जिससे 2006 में एक दूसरी जांच शुरू की गई। दूसरी जांच में भी यही निष्कर्ष निकाला गया कि खालिस्तानी आतंकवादियों ने इस हमले की योजना बनाई थी और इसे अंजाम दिया था।

इस जांच के बाद कुछ मुख्य संदिग्धों के खिलाफ कार्यवाही की गई, लेकिन इस घटना से जुड़े मुख्य दोषियों को कानूनी प्रक्रिया के कारण दोषी ठहराना कठिन रहा। पीड़ित परिवारों को इस बात का दुःख रहा कि उन्हें पूरा न्याय नहीं मिला और इस घटना को सही तरीके से नहीं निपटाया गया।

तीसरी बार जांच की मांग क्यों उठी ? India – Canada

हाल ही में, कनाडा के लिबरल पार्टी के सांसद सुख धालीवाल ने कनिष्क बमबारी की तीसरी बार जांच की मांग की है। उनके अनुसार, कुछ नए तथ्यों और साक्ष्यों की जांच की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी पक्षों को सही ढंग से सुना गया है। धालीवाल के इस बयान से कनाडा की राजनीति में विवाद छिड़ गया है, क्योंकि पहले से ही दो जांच हो चुकी हैं और दोनों में खालिस्तानी आतंकियों को दोषी ठहराया गया है।

धालीवाल की इस मांग से कई लोगों का मानना है कि यह एक षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य खालिस्तानी आतंकवादियों को निर्दोष साबित करना और भारत पर आरोप लगाना है। भारतीय मूल के सांसद चंद्रा आर्य ने इस मांग का कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जांच का कोई औचित्य नहीं है और यह केवल पुराने घावों को ताजा करने का प्रयास है।

पीड़ित परिवारों की प्रतिक्रिया

कनिष्क बमबारी के पीड़ित परिवारों ने भी तीसरी बार जांच की मांग का विरोध किया है। उनका कहना है कि पहले से ही दो जांच हो चुकी हैं और इन जांचों में स्पष्ट रूप से आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। एक पीड़ित परिवार के सदस्य, जिनकी पत्नी रमा इस घटना में मारी गई थीं, ने इसे एक दुखद और निराशाजनक कदम बताया। उनका मानना है कि यह केवल पीड़ित परिवारों की पीड़ा को बढ़ाने का काम करेगा और न्याय की मांग को कमजोर करेगा।

पीड़ित परिवारों का यह भी कहना है कि यह नई जांच की मांग केवल खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा अपने प्रचार और आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति बढ़ाने की कोशिश है। उनके अनुसार, यह जांच उन आतंकवादियों को बचाने की साजिश है, जिन्हें पहले ही जिम्मेदार ठहराया जा चुका है।

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भारतीय मूल के सांसद चंद्रा आर्य का विरोध

चंद्रा आर्य, जो खुद भारतीय मूल के हैं और जस्टिन ट्रूडो की पार्टी के सांसद हैं, ने इस तीसरी जांच की मांग को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि इस तरह की जांच कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ी आतंकवादी घटना को अनावश्यक रूप से फिर से खंगालने का प्रयास है। उन्होंने इसे भारत के खिलाफ एक साजिश करार दिया और इसे आतंकवादियों को बचाने का प्रयास बताया।

आर्य ने यह भी कहा कि यह जांच केवल एक षड्यंत्र सिद्धांत को बढ़ावा देती है, जिसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि खालिस्तान समर्थक समूह इस जांच के माध्यम से अपनी राजनीतिक और वैचारिक एजेंडा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह घटना कनाडा के इतिहास का काला अध्याय है और इसे बार-बार उजागर करना केवल पीड़ितों और उनके परिवारों की पीड़ा को बढ़ाने का काम करेगा।

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क्या तीसरी जांच होनी चाहिए?

इस सवाल का जवाब कई कारकों पर निर्भर करता है। अगर वास्तव में कुछ नए सबूत या तथ्य सामने आए हैं, तो यह तर्क दिया जा सकता है कि उन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए। हालांकि, यदि यह केवल एक राजनीतिक चाल है, तो इससे न केवल पीड़ित परिवारों की पीड़ा बढ़ेगी, बल्कि इससे आतंकवाद के खिलाफ की गई जांच और साक्ष्यों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे।

चंद्रा आर्य और पीड़ित परिवारों का मानना है कि यह जांच अनावश्यक है और इसका एकमात्र उद्देश्य आतंकवादियों को निर्दोष साबित करना है। वहीं, सुख धालीवाल और उनके समर्थक यह तर्क देते हैं कि न्याय की पूरी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक बार फिर से जांच की जानी चाहिए।

कनिष्क बमबारी एक भीषण आतंकवादी घटना थी, जिसने न केवल भारत और कनाडा को बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस मामले को लेकर पहले से ही दो जांच हो चुकी हैं और दोनों में खालिस्तानी आतंकियों को दोषी ठहराया गया है। तीसरी बार जांच की मांग उठने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह एक वास्तविक न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है या फिर एक राजनीतिक और वैचारिक षड्यंत्र।

कनाडा में भारतीय समुदाय के कई लोग और पीड़ित परिवार इस नई जांच के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह केवल पुराने घावों को हरा करने का प्रयास है और इसका उद्देश्य आतंकवादियों को निर्दोष साबित करना है।

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