Monday, December 23, 2024
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Ancient stepwell found in Sambhal: संभल में मिली प्राचीन बावड़ी, 150 साल पुरानी संरचना का हुआ खुलासा

Ancient stepwell found in Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी कस्बे में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर सामने आई है। लक्ष्मण गंज इलाके में दो दिनों की खुदाई के बाद लगभग 150 साल पुरानी एक प्राचीन बावड़ी का पता चला है। यह बावड़ी लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी गहराई 250 फीट है। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक खोज को लेकर काफी उत्साहित है।

खुदाई के जरिए हुई बावड़ी की खोज

चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने जानकारी दी कि इस स्थल पर खुदाई का काम 13 दिसंबर से शुरू हुआ। खुदाई की शुरुआत भस्म शंकर मंदिर के लगभग 46 वर्षों बाद खुलने के साथ हुई थी। यह मंदिर लंबे समय से बंद था और इसके पुनः खुलने के बाद आसपास के क्षेत्र में खुदाई की गई, जिससे इस बावड़ी का पता चला।

अतिक्रमण रोधी अभियान में हुआ खुलासा

संभल के अधिकारियों के अनुसार, अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान इस प्राचीन संरचना का पता चला। खुदाई के दौरान यहां से दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान हुआ था।

पुरातत्व विभाग के हस्तक्षेप की संभावना

संभल के जिलाधिकारी (DM) राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि इस प्राचीन बावड़ी के पुरातात्विक महत्व का आकलन करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वेक्षण कराने पर विचार किया जा रहा है। यदि आवश्यक हुआ, तो संरचना के संरक्षण के लिए एएसआई से मदद ली जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर की स्थिति भी ठीक नहीं है और इसके संरक्षण के लिए प्रयास किए जाएंगे।

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बावड़ी की संरचना और विशेषताएं

जिलाधिकारी पेंसिया ने बताया कि यह संरचना पहले तालाब के रूप में रजिस्टर्ड थी। बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि निचली मंजिल संगमरमर की है। इसमें चार कमरे, एक कुआं, और चार द्वार मिले हैं। इसके अलावा, खुदाई के दौरान बावड़ी में मूर्तियां रखने के लिए बने दर्जनों आले भी मिले हैं। इसके द्वार पर प्राचीन नक्काशी के निशान दिखाई देते हैं, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।

स्थानीय निवासियों की भूमिका

चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने इस बावड़ी और बांके बिहारी मंदिर की जानकारी जिला प्रशासन को दी। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र पहले हिंदू समुदाय के निवास का केंद्र था और यहां का ऐतिहासिक महत्व काफी पुराना है।

संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदम

संरचना को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए खुदाई और मरम्मत का काम सावधानीपूर्वक किया जा रहा है। DM पेंसिया ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर और बावड़ी के संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन जरूरी कदम उठाएगा।

धरोहर के रूप में संभल का गौरव

यह खोज उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को और अधिक समृद्ध करती है। लगभग 150 साल पुरानी इस बावड़ी का न केवल पुरातत्व महत्व है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए भी गौरव का विषय है। इसका संरक्षण क्षेत्र के सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

संभल की यह प्राचीन बावड़ी और इसके आसपास का क्षेत्र न केवल इतिहास में रुचि रखने वालों को आकर्षित करेगा, बल्कि यह स्थान सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने की संभावना रखता है।

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