Anant Singh Got Bail : अनंत सिंह, बिहार के मोकामा क्षेत्र के पूर्व विधायक, अपने विवादास्पद जीवन और आपराधिक इतिहास के कारण राज्य की राजनीति में एक प्रमुख नाम रहे हैं। हाल ही में, पटना हाई कोर्ट ने उन्हें AK-47 और बुलेटप्रूफ जैकेट से जुड़े मामले में बरी कर दिया है, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली है।
अनंत सिंह की जेल यात्रा और कानूनी चुनौतियां
अनंत सिंह 2016 से ही जेल में बंद थे, जब पटना सिविल कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के बाद उनके खिलाफ कई आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस हालिया फैसले के बाद, अनंत सिंह के खिलाफ कोई भी मामला लंबित नहीं है, जिससे यह संभावना है कि वह जल्द ही बेऊर जेल से बाहर आ सकते हैं। यह निर्णय बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों को जन्म दे रही है।
लोकसभा चुनाव और पैरोल के दौरान अनंत सिंह की भूमिका Anant Singh Got Bail
लोकसभा चुनाव के दौरान, अनंत सिंह को पैरोल पर रिहा किया गया था। इस अवधि के दौरान उन्होंने जदयू उम्मीदवार ललन सिंह के लिए अपने इलाके में चुनाव प्रचार किया था। इस कदम ने उनके राजनीतिक झुकाव में बदलाव को दर्शाया। जहां पहले अनंत सिंह विपक्ष के साथ थे, वहीं अब उनकी पत्नी नीलम देवी, जो राजद की विधायक थीं, ने जदयू का दामन थाम लिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अनंत सिंह की राजनीतिक सोच में बदलाव आया है, और अब वह जदयू के समर्थन में खड़े हैं।
मोकामा में अनंत सिंह की पकड़ | Anant Singh Got Bail
मोकामा को अनंत सिंह का अभेद किला माना जाता है। 2005, 2010 और 2015 के विधानसभा चुनावों में ललन सिंह ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन अनंत सिंह ने अपनी पकड़ बनाए रखी। 2010 और 2005 में ललन सिंह एलजेपी से चुनाव लड़े थे, लेकिन वह अनंत सिंह को हराने में सफल नहीं हो पाए। खासकर 2010 के चुनाव में, ललन सिंह महज दो हजार वोटों के अंतर से हार गए थे, जो यह दर्शाता है कि अनंत सिंह का प्रभाव क्षेत्र में कितना मजबूत है।
अनंत सिंह का आपराधिक इतिहास
अनंत कुमार सिंह का आपराधिक इतिहास चार दशकों से अधिक पुराना है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दायर हलफनामे में यह खुलासा हुआ कि उनके खिलाफ पहला आपराधिक मामला मई 1979 में दर्ज हुआ था। इस मामले में उन पर हत्या का आरोप लगाया गया था, लेकिन आरोपपत्र कभी दायर नहीं किया गया। उनके खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि पटना उच्च न्यायालय के दस्तावेजों के अनुसार यह संख्या 52 तक पहुंचती है। बावजूद इसके, उन्हें केवल दो मामलों में दोषी ठहराया गया: एक 2015 में और दूसरा 2019 में।
2015 का मामला: अपहरण-हत्या और पटना पुलिस की छापेमारी
2015 में पटना पुलिस ने अपहरण-हत्या के एक मामले के बाद अनंत सिंह के आवास पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान पुलिस को एक इंसास राइफल की छह खाली मैगजीन, एक बुलेटप्रूफ जैकेट और खून से सने कपड़े मिले थे। इस घटना के अगले दिन, पीड़ितों में से एक, पुतुश यादव का शव अनंत सिंह के पैतृक गांव, नदावन में पाया गया। इस मामले ने अनंत सिंह की छवि को और भी संदिग्ध बना दिया और उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया को तेज कर दिया।
2019 का मामला: AK-47 और हथगोले की बरामदगी
2019 में, पटना पुलिस ने 16 अगस्त की सुबह अनंत सिंह के आवास पर छापा मारा, जहां से एक AK-47 राइफल और हथगोले बरामद हुए। हालांकि, इस छापेमारी के तुरंत बाद अनंत सिंह गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे और फिर एक हफ्ते बाद दिल्ली की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। इस मामले ने उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा और कस दिया, लेकिन अंततः सबूतों की कमी के चलते वह इस मामले में भी बरी हो गए।