Colorectal Cancer : पिछले कई सालों से देश में लगातार कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहें हैं। जिस कारण भारत में हर वर्ष हजारों लोगों की मौत होती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर को देश के कुछ हिस्सों में रेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो दोनों कैंसर का प्रकोप अलग है लेकिन दोनों की कई विशेषताएं आपस में मिलती हैं। बता दें कि कोलन और मलाशय की अंदरूनी परत में वृद्धि से कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत होती है। वृद्धि को साइअन्टिफिक भाषा में पॉलिप्स कहा जाता है, जो समय के साथ कैंसर में विकसित हो जाते है। हालांकि, सभी पॉलिप्स कैंसर नहीं बनते हैं लेकिन कैंसर पूरी तरह से पॉलिप्स पर निर्भर होते है। पहले कोलोरेक्टल कैंसर केवल महिलाओं में ज्यादा पाया जाता था लेकिन अब महिलाओं की तुलना में ये पुरुष को अपना शिकार बना रहा हैं।
इस वजह से हो सकता है कैंसर
खराब लाइफस्टाइल और अस्वस्थ डाइट की वहज से कोलोरेक्टल कैंसर लोगों में विकसित होता है और सही समय पर इसका इलाज नहीं करने से ये पीड़ित की जान भी ले सकता हैं। इसके अलावा फिजिकल एक्टिव, फल और सब्जियों का सेवन नहीं करने से और अधिक मात्रा में रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट खाने से कैंसर का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं। इसके साथ मोटापे से ग्रसित लोगों में भी ये कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
शरीर में कुछ बदलाव होने पर कई बार लोग इन पर ध्यान नहीं देते हैं और डॉक्टर से चेक नहीं कराते लेकिन सही समय पर इनका इलाज नहीं होने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। कोलोरेक्टल कैंसर के कई लक्षण है, जैसे-
– कब्ज या दस्त होना
– हाथ-पैरों का पीला पड़ना
– पेट में रोजाना तेज दर्द बने रहना
– हर समय कमजोरी महसूस होना
– मल में से खून आना
– सांस लेने में दिक्कत होना
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि southblockdigital.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।