महाराष्ट्र की सियासत इस वक्त पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन उद्धव vs शिंदे गुट की लड़ाई पर अपना फैसला सुनाया। शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की अयोग्य घोषित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेज दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में ‘नैतिकता’ को लेकर जंग छिड़ गई हैं।
इस्तीफे की मांग पर ये बोले अजित पवार
दरअसल, कोर्ट का फैसला आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नैतिकता के आधार पर शिंदे सरकार से इस्तीफा देने को कहा था। हालांकि इस बीच अब विधानसभा में नेता विपक्ष और NCP नेता अजित पवार का एक बार अलग राह पकड़ी है। शुक्रवार को अपने एक बयान में अजित पवार ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा मांगने की कोई जरूरत नहीं है।
साथ ही साथ पवार तंज कसते हुए आगे ये भी बोले कि सपने में भी मत सोचना कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस इस्तीफा दे देंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और आज के लोगों ने जमीन आसमान का अंतर है। अजित पवार ने कहा कि हमारे स्पीकर ने सीएम ठाकरे से पूछे बिना इस्तीफा दे दिया। ऐसा नहीं होना चाहिए था। अगर उन्होंने इस्तीफा दे भी दिया तो हमें हमारा नया स्पीकर चुनना चाहिए था। हमारे पास अपना स्पीकर होता तो वो 16 विधायक अयोग्य घोषित हो गए होते।
नैतिकता को लेकर छिड़ी जुबानी जंग
अजित पवार के इस बयान से तो ऐसा ही लग रहा है कि शिंदे सरकारें के इस्तीफे को लेकर उद्धव गुट की शिवसेना और एनसीपी की राहें अलग अलग हैं। आपको बता दें कि इससे पहले जब बीते दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, तो इसके बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मैंने इस्तीफा देकर कानूनी रूप से गलत किया हो लेकिन दो फाड़ होने के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया। अगर इस सरकार में जरा भी नैतिकता है तो इसे इस्तीफा दे देना चाहिए।
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वहीं ठाकरे के इस बयान पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे नैतिकता का पाठ न पढ़ाएं। फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे के पास सरकार बचाने का पर्याप्त नंबर था ही नहीं, इसलिए उनका जाना तय था। उन्होंने नैतिक आधार पर नहीं बल्कि हार के डर के कारण इस्तीफा दिया था।