Air Pollution News Update: वर्तमान में, भारत सहित कई देशों के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। इस समय भारत के तीन बड़े शहर दिल्ली, कोलकाता और मुंबई दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जा रहे हैं। स्विट्जरलैंड की कंपनी आईक्यूएयर के लाइव रैंकिंग के अनुसार, 13 नवंबर को भारत की राजधानी दिल्ली 515 एक्यूआई के साथ दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण आम लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
कितना खराब है एक्यूआई का स्तर?
एयर क्वालिटी इंडेक्स या एक्यूआई के माध्यम से हवा की गुणवत्ता को मापा जाता है। यह एक मानक मापदंड है जो वायु प्रदूषण के स्तर को दर्शाता है और इसके हिसाब से हवा को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है:
- 0-50 एक्यूआई: हवा का स्तर अच्छा माना जाता है।
- 51-100 एक्यूआई: मध्यम गुणवत्ता की हवा।
- 101-150 एक्यूआई: संवेदनशील समूहों के लिए हवा को खराब माना जाता है।
- 151-200 एक्यूआई: खतरनाक श्रेणी, जो सभी के लिए हानिकारक होती है।
- 201-300 एक्यूआई: बहुत खतरनाक हवा, जिसे विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है।
- 301 और उससे अधिक एक्यूआई: यह स्तर अत्यंत खतरनाक माना जाता है और इससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
दिल्ली का 515 एक्यूआई स्तर इस मापदंड के अनुसार अत्यंत खतरनाक स्थिति को दर्शाता है, जो सांस और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
दुनिया के शीर्ष प्रदूषित शहरों में भारतीय शहरों की स्थिति
आईक्यूएयर की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय भारत के कई प्रमुख शहरों का एक्यूआई स्तर चिंताजनक है। दिल्ली 515 एक्यूआई के साथ पहले स्थान पर है। इसके अलावा मुंबई का एक्यूआई 158 रिकॉर्ड किया गया, जो 10वें स्थान पर है। कोलकाता में 136 एक्यूआई दर्ज हुआ, जिससे यह भी उच्च प्रदूषण स्तर की श्रेणी में आता है। प्रदूषण के कारण इन शहरों में वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो गई है कि लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए।
अन्य देशों की स्थिति
आईक्यूएयर की रैंकिंग में दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर पाकिस्तान का शहर लाहौर है, जिसका एक्यूआई 432 है। वहीं, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का किंशासा शहर 193 एक्यूआई के साथ तीसरे स्थान पर है। मिस्र की राजधानी काहिरा 184 एक्यूआई के साथ चौथे स्थान पर है, जबकि वियतनाम की राजधानी हनोई 168 एक्यूआई के साथ पांचवें स्थान पर है। कतर का दोहा शहर 166 एक्यूआई के साथ छठवें, सऊदी अरब का रियाद 164 एक्यूआई के साथ सातवें स्थान पर, और नेपाल की राजधानी काठमांडू 160 एक्यूआई के साथ आठवें स्थान पर है।
मंगोलिया का उल्लानबटार भी गंभीर स्थिति में है, जहां का एक्यूआई 158 है। इसके अलावा बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक्यूआई 122 मापा गया है, जिससे यह 17वें स्थान पर आता है। चीन के भी सात शहरों की हवा खतरनाक स्थिति में पाई गई है, जो वैश्विक प्रदूषण का गंभीर संकेत है।
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण की वजह से सांस की बीमारियों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग, और कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। दिल्ली जैसे शहरों में स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई स्कूलों को बंद कर दिया गया है और लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। भारत जैसे विकासशील देशों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ वातावरण मिल सके।
सरकार और नागरिकों के लिए सुझाव
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को कड़े नियम लागू करने चाहिए और जनता को भी जागरूक होना चाहिए। प्रदूषण से निपटने के लिए सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग, कचरे का उचित निपटान, और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का प्रयोग आवश्यक है। इसके साथ ही, नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए और अपने स्तर पर छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए, जैसे कि पौधे लगाना, ऊर्जा की बचत करना और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना।
भारत और दुनिया के विभिन्न शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। आवश्यक है कि हम सब मिलकर प्रदूषण से निपटने के उपायों को अपनाएं, ताकि भावी पीढ़ियों को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण मिल सके। सरकारों के साथ-साथ नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और एक स्थायी भविष्य की दिशा में योगदान करें।