Monday, September 22, 2025
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद, क्या कश्मीर में लगना चाहिए लॉक डाउन?

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के विरोध में बुधवार को जम्मू क्षेत्र के कई हिस्सों में पूर्ण बंद रहा। जम्मू शहर के अलावा रियासी, उधमपुर, कटरा, कठुआ और सांबा में भी बंद रहा। जम्मू शहर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए और कई प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए।

370 के बाद यहां पर्यटक स्थलों पर रौनक लौटने लगी है। श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग व पहलगाम जैसे डेस्टिनेशंस पर पर्यटकों की भीड़ जुटना शुरू हो चुकी थी। नए होटलों की शुरुआत हो या श्रीनगर में मॉल बनना, बड़े बड़े ब्रांड का पहुंचना और साढ़े तीन दशक बाद घाटी में आइनॉक्स जैसे सिनेमाहॉल की शुरुआत, सब इशारा कर रहे हैं कि देश की सबसे खूबसूरत राज्य स्थानीयों के साथ-साथ पर्यटकों को लुभाने के लिए हर तरह से तैयार है। इनमें बड़े होटलों की चेन से मॉल व सिनेमा जगत के नामी कंपनियां दिलचस्पी दिखा रही हैं। जम्मू-कश्मीर की कुल इकोनमी में 8 फीसदी हिस्सेदारी टूरिजम सेक्टर की है। 2024-25 में प्रदेश की जीडीपी 7 फीसदी की तेजी के साथ आगे बढ़ रही थी, जिसमें सबसे तेजी से टूरिज्म सेक्टर की ग्रोथ शामिल थी। बंद के कारण जम्मू शहर में सामान्य जनजीवन ठप्प हो गया। कई नागरिक समाज समूहों और व्यापार निकायों द्वारा आहूत बंद के कारण दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे तथा सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा।

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जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए पर्यटन केवल आजीविका नहीं है, यह उनका गौरव, उनकी विरासत और उनकी उम्मीद है। इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली है, बल्कि पर्यटन पर निर्भर रहने वाले हजारों परिवारों को भी क्रूर झटका दिया है। इस तरह के बड़े हमले से जम्मू और कश्मीर में घरेलू पर्यटन और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दोनों पर बहुत हद तक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में लॉकडाउन लगाने का मुद्दा संवेदनशील और जटिल है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो ऐसे हमले देश की शांति और नागरिकों की जान-माल के लिए गंभीर खतरा होते हैं। इस संदर्भ में, सीमित समय के लिए लॉकडाउन लगाना, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां आतंकियों की गतिविधियों की आशंका है, एक तात्कालिक समाधान हो सकता है ताकि सुरक्षा बलों को तलाशी अभियान और आतंकियों की तलाश में सहायता मिले।

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हालांकि, पूरी कश्मीर घाटी में लॉकडाउन लगाना आम जनता के लिए बहुत परेशानी भरा हो सकता है। इससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होगी, व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होंगी, और आम नागरिकों में असंतोष भी बढ़ सकता है। इसके बजाय, इंटेलिजेंस आधारित कार्रवाई, लक्षित सर्च ऑपरेशन और स्थानीय लोगों के सहयोग से आतंकियों की पहचान और कार्रवाई ज्यादा प्रभावी साबित हो सकती है।इसलिए, पूरे कश्मीर में लॉकडाउन लगाने की बजाय, ज़रूरत के हिसाब से संवेदनशील इलाकों में सख्त सुरक्षा उपाय लागू करना बेहतर होगा, ताकि आम जनता की ज़िंदगी भी न रुके और सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।

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