Friday, November 22, 2024
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‘मैं खुशकिस्मत था कि…’ सुशांत सिंह राजपूत को याद कर विवेक ओबरॉय का छलका दर्द, खोले इंडस्ट्री के राज

बॉलीवुड इंडस्ट्री बाहर से दिखने में तो काफी ग्लैमरेस लगती है, लेकिन इस चमकती हुई दुनिया के कई डार्क सीक्रेट्स भी छिपे हैं। बॉलीवुड में लॉबिंग कोई नई बात तो नहीं है। कई बड़े सेलिब्रिटीज इस लॉबिंग का शिकार हुए हैं। हाल ही में देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा ने बॉलीवुड के कई राज खोले थे, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें बॉलीवुड में साइडलाइन किया जा रहा था, जिसकी वजह से उन्हें बॉलीवुड छोड़ हॉलीवुड का रूख करना पड़ा था।

20 साल पुराने किस्से को किया याद

प्रियंका चोपड़ा के इन खुलासों ने बॉलीवुड में एक बार फिर से सनसनी मचाकर रख दी। वहीं अब प्रियंका चोपड़ा के बाद और भी कई सेलिब्रिटीज सामने आकर बॉलीवुड की लॉबिंग पर खुलकर अपनी राय रख रहे हैं। विवेक ओबरॉय भी उन सितारों में से एक हैं, जो इंडस्ट्री में पॉलिटिक्स और गुटबाजी का शिकार हुए हैं। आज से 20 साल पहले विवेक ओबरॉय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई को उजागर किया था।

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अब 20 सालों बाद विवेक ओबेरॉय ने दोबारा उस किस्से को याद किया है। उन्होंने कहा है कि मुझे खुशी है मैं सभी चीजों से उबर गया लेकिन हर कोई इतना खुशनसीब नहीं होता है। एक इंटरव्यू में विवेद ओबरॉय ने कहा- “मैं बहुत सारी ऐसी चीजों से गुजरा हूं, जो जरूरी नहीं था। ऐसी बातें जिनकी ओर प्रियंका भी इशारा कर रही हैं दुर्भाग्य से यह हमारी इंडस्ट्री की पहचान रही है। ये बॉलीवुड का डार्कसाइड, जिसे मैंने करीब से देखा है’।

विवेक ने की प्रियंका की तारीफ

विवेक ओबरॉय ने आगे प्रियंका की तारीफ की और कहा- ‘उनका किसी दूसरी जगह जाकर काम खोजना बेहद इंस्पिरेशनल है। वो बाहर गईं और अपने लिए कुछ अलग खोजा, जो उनके करियर का अहम पड़ाव बना।’ विवेक ने इस इंटरव्यू में ये भी बताया कि कैसे शूट आउट एट लोखंडवाला में अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस देने के बाद भी उनको 14 महीनों तक कोई काम नहीं मिला था। जिसकी वजह से उन्होंने बिजनेस और समाज के लिए कुछ करने पर ध्यान लगाया।

विवेक आगे ये भी बताते हैं कि किस तरह उन्होंने जब 20 साल पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इंडस्ट्री के खिलाफ आवाज उठाई थी तो उनसे कहा जाता था कि इसके बारे में बात मत करो। यह फैमिली सीक्रेट की तरह है, लेकिन अगर परिवार में दुर्व्यवहार चल रहा है और आप इसके बारे में नहीं बोलते तो यह बेवकूफी है।

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‘सुशांत को जान नहीं देनी चाहिए थी…’

विवेक ने मीटू आंदोलन, कास्टिंग काउच जैसी चीजों पर बात करके इंडस्ट्री को असुरक्षित बताया। साथ ही दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर भी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि सुशांत को कभी भी अपनी जान नहीं देनी चाहिए थी, चाहे कुछ भी हो जाए। यह बहुत दुखद बात है। वह कितने प्रतिभाशाली थे, उनके पास अच्छे दोस्तों का साथ होना चाहिए था। आप इंडस्ट्री को परिवार कहते हैं तो परिवार को एक-दूसरे के लिए होना चाहिए।

चाहे 20 साल पहले की बात हो, या फिर अब तक बॉलीवुड में नेपोटिज्म, लॉबिंग और पॉलिटिक्स पहले भी मौजूद थी और आज भी ये सबकुछ इस इंडस्ट्री का हिस्सा है, जिसका शिकार बॉलीवुड के कई सितारे होते आ रहे हैं।

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