Abdul Kalam Birthday: डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जीवन भारत के लिए समर्पित एक प्रेरणास्रोत है। बच्चों में लोकप्रियता के चलते उन्हें “अंकल कलाम” के नाम से जाना जाता है. बड़ों के बीच वे “कलाम साहब” के नाम से मशहूर थे। विज्ञान के क्षेत्र में उन्हें “मिसाइल मैन” कहा गया, तो वहीं उनके मानवीय और विनम्र स्वभाव के कारण उन्हें “पीपल्स प्रेसिडेंट” का नाम मिला। उनका सफर बेहद संघर्षपूर्ण था; अखबार बेचने से लेकर देश के राष्ट्रपति बनने तक की उनकी यात्रा एक सच्चे प्रेरणा की कहानी है।
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ToggleEarly life of APJ Abdul Kalam (World Students Day 2024 )
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, और परिवार आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा था। अपनी पढ़ाई के खर्च के लिए कलाम साहब बचपन में अखबार बेचते थे। विज्ञान के प्रति उनकी रूचि बचपन से ही विकसित हो गई थी। रामेश्वरम में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने पायलट बनने का सपना देखा। हालांकि, यह सपना पूरा नहीं हो सका, परंतु उनका संकल्प उन्हें वैज्ञानिक बनने की दिशा में आगे ले गया। उनका पूरा जीवन स्टूडेंट्स के प्रति समर्पित था। इसलिए उनके जन्मदिन के अवसर पर हर साल उनके सम्मान में 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे मनाया जाता है।
ISRO और DRDO में योगदान
कलाम साहब ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने डीआरडीओ में काम करना शुरू किया, जहां उन्हें हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने का अवसर मिला। बाद में, 1962 में वे इसरो में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी-3) का नेतृत्व किया और सफलतापूर्वक रोहिणी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया। भारत को मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसके कारण उन्हें “मिसाइल मैन” का नाम मिला।
Pokhran Nuclear Test
1992 में, डॉ. कलाम भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बने। उनके मार्गदर्शन में भारत ने 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किए। इस कदम से भारत ने अपनी रक्षा शक्ति का प्रमाण दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनके नेतृत्व और योगदान ने देश को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया, और भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत हुई।
राष्ट्रपति कार्यकाल
18 जुलाई 2002 को डॉ. कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोल दिए। उनके विनम्र स्वभाव और जनता के प्रति प्रेम के कारण उन्हें “जनता का राष्ट्रपति” कहा जाने लगा। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने बच्चों और युवाओं (Abdul Kalam Birthday 2024) को प्रेरित किया और राष्ट्र निर्माण के प्रति उन्हें जागरूक किया। उनका लक्ष्य 2020 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना था, और इस दिशा में उन्होंने अनेक प्रेरणादायक पहल कीं।
Literary Contribution and Inspirational Thoughts
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, डॉ. कलाम (Abdul Kalam Birthday 2024) ने विभिन्न शिक्षण संस्थानों में कार्य किया और युवाओं के साथ अपने विचार साझा किए। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें “विंग्स ऑफ़ फायर” और “इंडिया 2020” प्रमुख हैं। ये किताबें युवाओं में बेहद लोकप्रिय रहीं और उनमें से कई विचारशील लोग आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुए। डॉ. कलाम का सपना एक सशक्त, समृद्ध और स्वावलंबी भारत का निर्माण करना था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तकों और विचारों के माध्यम से अभिव्यक्त किया।
सम्मान और पुरस्कार | Abdul Kalam Birthday 2024
कलाम साहब को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें प्रमुख हैं:
- 1981 में पद्म भूषण
- 1990 में पद्म विभूषण
- 1997 में भारत रत्न, जो कि भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
साथ ही, उनके 79वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र ने “विश्व विद्यार्थी दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की, जो कि उनके शिक्षा और बच्चों के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
अंतिम समय और निधन | Abdul Kalam Birthday 2024
27 जुलाई 2015 को शिलोंग में एक लेक्चर देते (Abdul Kalam Birthday 2024) हुए दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम सांस के साथ, देश ने एक महान वैज्ञानिक, एक प्रेरक शिक्षक और एक सच्चे देशभक्त को खो दिया। डॉ. कलाम की जीवन-यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का हर पहलू उनके आदर्शों, दृढ़ संकल्प और देश के प्रति प्रेम को दर्शाता है। उनका जीवन हमें बताता है कि कठिनाइयों के बावजूद भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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