दिल्ली के (AIIMS) के ई-हॉस्पिटल सर्वर पर 23 नवंबर को साइबर हमले का मामला सामने आया था। उसके बाद से अभी तक स्थिति संभल नहीं पा रही है। लगातार चौथे दिन भी एम्स में साइबर अटैक का असर रहा। इस हमले के चलते एम्स में ओपीडी और नमूना संग्रह सेवाओं के अलावा अन्य सभी सेवाएं, मसलन ऑपरेशन प्रक्रिया भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ये हालात तो तब हैं जब ये हमला केवल एक ही संस्थान पर हुआ है। अगर इससे जुड़ी अन्य संस्थाओं पर भी होती तो सोचिए क्या हालात देखने को मिलते ?
Cyber security incident at AIIMS | National Informatics Centre team working at AIIMS suspects it to be a ransomware attack. As of 7:30 pm hospital services are running on manual mode: AIIMS
— ANI (@ANI) November 23, 2022
देश की कई सुरक्षा एजेसियों ने एम्स कैंपस में ही डेरा डाल दिया है। गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी एम्स कैंपस पहुंच कर हालात का जायजा लिया था। रेनसमवेयर साइबर अटैक के चलते संस्थान का बैकअप सिस्टम भी जवाब दे गया है। सूत्रों का कहना है कि बैकअप सिस्टम को भी निशाना बनाया गया है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कई खुलासे किये हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि साइबर हमले में फाइलों का एक्सटेंशन ही बदल गया। एम्स के एंटी-वायरस सर्वर का लाइसेंस खत्म हो गया था। साथ ही एम्स के नेटवर्क का फायरवॉल भी काम नहीं कर रहा था। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि एम्स के कंप्यूटर बहुत ही पुराने हैं और वह ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
Investigation for the incident & efforts to bring back the digital patient care services progressing. Actions to prevent such attacks are being planned. All patient care services, including lab. Services, continue to be managed manually: AIIMS, Delhi on cyber attack
— ANI (@ANI) November 25, 2022
जांच में जुटी सुरक्षा विभाग
एम्स के सुरक्षा विभाग की शिकायत पर इस मामले में स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन(आईएफएसओ) में बृहस्पतिवार को एफआईआर दर्ज की गई थी। आईएफएसओ की एक टीम इस मामले में विशेष तौर से जांच कर रही है। साथ ही कंप्यूटर एमरजेंसी रेस्पांस टीम को भी जांच में लगाया गया है। इसके अलावा दिल्ली की सुरक्षा एजेंसियां पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं।
एम्स प्रबंधन ने कर्मचारियों को किया निलंबित
इस बीच एम्स प्रबंधन ने कंप्यूटर शाखा से जुड़े दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है वहीं उसके खिलाफ जांच भी कर रही है। साइबर अटैक से बचने के लिए ‘साइबर हाइजीन’ की प्रक्रिया अपनानी होती है। संस्थान कोई भी हो वहां पर डाटा बैकअप रोजाना लेना होता है। ये सब तैयारी पहले से ही करनी पड़ती है। क्या एम्स के पास यह सब प्लान था, ये भी एक सवाल है। साइबर क्राइम का दायरा जिस तेजी से बढ़ रहा है वैसे ही हमें खुद की सुरक्षा बढ़ानी होगी।
चार साल पहले तक 48 हजार से ज्यादा ‘वेनाक्राई रेनसमवेयर अटैक’ डिटेक्ट
भारत में चार साल पहले तक 48 हजार से ज्यादा ‘वेनाक्राई रेनसमवेयर अटैक’ डिटेक्ट हुए थे। विभिन्न तरह के हैकर समूह, भारतीय स्पेस में सेंध लगाने का प्रयास करते रहते हैं। उसके बाद भी देश में साइबर अटैक से बचने का फूलप्रूफ सिस्टम तैयार नहीं हो सका है।