जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल की दोपहर आतंकियों ने पर्यटकों से पहले धर्म पूछा और फिर उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. आतंकियों की इस कायराना हरकत पर हर किसी का खून खौल रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है की आखिर इन सब के पीछे साजिश है या कोई और वजह? आइये आपको बताते है इस खास रिपोर्ट में।
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी अटैक ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि जहां हर साल लाखों पर्यटक अपनी फैमिली के साथ छुट्टियां मनाने और जिंदगी की कुछ खूबसूरत यादें जोड़ने जाते हैं, वहां कुछ ऐसा भी हो जाएगा. आतंकवादियों ने 26 लोगों को पहचान पूछकर मार डाला. जान गवांने वालों में ज्यादातर पर्यटक ही थे, पर फिर भी हर किसी के मन में एक सवाल है की आखिर उन आतंकवादियों को कश्मीर में घुसने कैसे दिया गया, और क्या इसके पीछे की असली वजह हो सकती है।
कौन हैं फारूक अब्दुल्ला?
जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला की बात करें तो वह भी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टिंडेल बिस्को स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद जयपुर के SMS मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री हासिल की. मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद फारूक ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए यूके का रुख किया. वहां उन्होंने प्रैक्टिस की. लेकिन फिर राजनीति में अपनी पारिवारिक विरासत संभालने के लिए उन्होंने भारत का रुख किया।
आखिर दुश्मन देश की वकालत क्यों करने लगे फारूक अब्दुल्ला?
पहलगाम में हुए हमले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला का एक पहले का बयान सामने आया है, जिसने आज फिर देश में हलचल मचा दी है, आखिर दुश्मन देश की वकालत क्यों करने लगे फारूक अब्दुल्ला? पिछले साल केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान दिया था की ‘पीओके का भारत में विलय किया जाएगा’,पर लगता है रक्षा मंत्री के इस बयान को पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला हजम नहीं कर पाए इसलिए उन्होने इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने पाकिस्तान की वकालत करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं। उनके पास भी परमाणु बम हैं। फारूक अब्दुल्ला पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर ने कहा था “Narendra Modi, Amit Shah, PMO India सबसे पहले इन हिंदुस्तान में पल रहे गद्दार पाकिस्तान परस्त लोगों की गान में गोली मारी जाएं।”अब्दुल्ला की इस टिप्पणी पर बवाल खड़ा हो गया है, बीजेपी नेता ने उन पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेता ने कहा कि अब तक पाकिस्तान के कट्टरपंथी नेता परमाणु बम होने की बात कहते थे, लेकिन अब इंडिया ब्लॉक के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला भी ऐसा ही कह रहे हैं. वही कुछ महीनो पहले फारूक अब्दुल्ल का एक और बयान सामने आया था जिसमे वो इस्लाम को आखिरी धर्म कह रहे थे “फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि जो आखिरी धर्म है वो इस्लाम है, वो कुरान है और जो आखिरी है वो पैगम्बर करीम है. जो भी इसका समर्थन नहीं करेगा वो जो चाहे करे, वो दुश्मन-ए-इस्लाम है. किसी को भी उनके साथ किसी भी तरह से नहीं चलना चाहिए. जो ऐसा कर रहे हैं वो नर्क की तरफ जा रहे हैं और जो भी उनके साथ जाएगा वो भी नर्क में जाएगा.
सवाल ये है आखिर फारूक अब्दुल्ला इतना पाकिस्तान का साथ क्यों देते है, उनका पाकिस्तान से ऐसा क्या रिश्ता, की उनकी हर बात पाकिस्तान, इस्लाम पर ख़त्म होती है, फारूक अब्दुल्ला को देश से जाना भी नहीं, और पाकिस्तान को छोड़ना भी नहीं। पाकिस्तान में हुए हमले और ऐसे बयान दोनों ही ये बताते है की फारूक अब्दुल्ला चाहे कितना अपने आप को को एक हिंदुस्तानी बताए पर साथ हमेशा इस्लाम और पाकिस्तान का ही देगा।
कश्मीर कांड या साजिश?
पहली वजह तो साफ साफ नजर आती है कि जिस तरह आतंकवादियों ने लोगों का धर्म पूछा और फिर मारा, वो करके वो देश में नफरती हिंसा की चिंगारी को सुलगाना चाहते हैं. अगर देश में इसकी प्रतिक्रिया कहीं भी हिंसक तरीके से होती है तो आतंकवादी अपने मकसद में कामयाब हैं. ये तय है कि इस नृशंस आतंकवादी घटना को बहुत सोच समझकर बनाया गया और अंजाम दिया गया। हमले के तरीके से स्पष्ट होता है कि आतंकियों ने पर्यटकों को जानबूझकर निशाना बनाया. इससे पहले, मई 2024 में भी एक पर्यटक जोड़े पर हमला हुआ था, जिसमें दोनों घायल हुए थे लेकिन तब इस पर लोगों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. ये हमला क्षेत्र में आतंकवादियों की बदलती रणनीति को दिखा रहा है, ये ज्यादा खतरनाक है और दहशत फैलाने वाला कि अब वे सीधे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बना रहे हैं.