E Cigarette: आजकल की युवा पीढ़ी लगातार नशे का शिकार होती जा रही है। ई-सिगरेट आजकल ज्यादा ही प्रचलित हो चुका है जिसे हर वर्ग के लोग ले रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर्स ने बच्चों में वैपिंग के खतरों के बारे में गंभीर चिंता जताई है, खास तौर से बच्चो को इससे दूर रहने की बात कही है। नाबालिगों को ई-सिगरेट बेचने से रोकने वाले कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद ये संख्या बढ़ती जा रही है। तो आइए जानते हैं कितनी गंभीर है ये समस्या..
क्या होता है ई-सिगरेट ?
ई-सिगरेट साधारण सिगरेट से अलग होता है। इसमें बैटरी होता है जिससे यह संचालित होता है। इसमें तरल पदार्थ होता है और वो बैटरी के जरिये गर्म करने के बाद इनहेल या सांस के ज़रिए खींचा जाता है। तरल पदार्थ में आमतौर पर तंबाकू से तैयार निकोटिन का कुछ अंश होता है। इसके अलावा प्रोपलीन ग्लाइकोल, कार्सिनोजन, एक्रोलिन, बेंजिन आदि केमिकल और फ्लेवरिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
ई-सिगरेट से बीमारियां
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन कहता है कि निकोटीन वाली ई-सिगरेट काफी एडिक्टिव होती हैं और शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं। इनसे टॉक्सिक सब्सटांस बनते हैं, जो कई सारी बीमारियों का कारण होते हैं। सिगरेट की तरह इसका धुआं भी खतरनाक है और इसके आसपास भी खड़ा नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि यूके की इस रिपोर्ट की मानें तो ई-सिगरेट की वेपिंग की वजह से निमोनिया और दिल की बीमारी समेत 200 तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें ?
मालूम हो कि ब्रिटेन में हालिया सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 11 से 17 वर्ष के हर पांच में एक बच्चे ने वेपिंग आजमाई है। यह आंकड़ा 2020 की तुलना में तीन गुना अधिक है। 2021 में किया गया एक सर्वे बताता है कि 11 से 15 वर्ष तक आयु के हर 10 बच्चों में से एक इसका इस्तेमाल कर रहा है।
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