How Indonesia became a Muslim country : ईसा की शुरुआत में दुनिया एक छोटी से बस्ती थी जिसमें कई राजा थे। हालांकि इस बस्ती का संबंध भारतीय राज्यों के अलावा चीन से भी था। बस्ती ने छोटे से व्यापार से अपनी प्रगति शुरू की और अपने आप को इतना सक्षम बनाया कि खुद को एक अलग देश का दर्जा दिलवाया।
दुनिया में indonesia के नाम से मशहूर ये देश पहले एक बस्ती थी। सातवीं सदी से धीरे-धीरे इंडोनेशिया में हिंदू राजा श्रीविजया का साम्राज्य फैलना शुरू होता गया। राजा श्रीविजया पर हिंदू और बौद्ध धर्म का अच्छा खासा प्रभाव था। हालांकि इस बीच बौद्ध शैलेंद्र और हिंदू राजवंश के प्रतिनिधि ने देश में अपना प्रभाव बढ़ाने का काफी प्रयास किया। आठवीं से दसवीं सदी के बीच उनका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा था।
बहरहाल 13वीं सदी के आखिर में हिंदू माजापाहित साम्राज्य का उदय हुआ। देश के पूर्वी जावा में इनके मुखिया गजाह मदा का प्रकोप बढ़ता जा रहा था। इसका असर इंडोनेशिया में आज भी देखा जाता है। इस पुरे दौर को indonesia का सुनहरा काल के रूप में भी याद किया जाता हैं। हालांकि इस बीच देश के उत्तरी सुमात्रा में इस्लाम धर्म फैलना शुरू हुआ, जिसका असर धीरे-धीरे देश में पढ़ने लगा और ज्यादातर लोगों ने इस्लाम धर्म को स्वीकार करना शुरू कर दिया।
16वीं सदी तक यहां पर सुमात्रा और जावा का प्रमुख धर्म बन गया, जिसका असर देश के बाकी हिस्सों में भी देखने को मिल रहा था। देश में लगातार इस्लाम संस्कृति और धार्मिक असर बढ़ने लगा। इसका असर अब भी इंडोनेशिया में कई जगह देखा जा सकता है। उस समय के तौरतरीके देश में आज भी मौजूद है, जिनका पालन पुरे सम्मान के साथ किया जाता हैं।
इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि यहां पर 9 वीं सदी में अरब से आए लोगों ने अपने धर्म का प्रचार प्रसार करना शुरू किया था। हालांकि ये भी कहा जाता है कि गुजरात और फारस से आए सूफी यात्रियों ने 12 से13वीं सदी के बीच इसे फैलाया। गौरतलब है कि अभी तक इस राज से पूरी तरह पर्दा नहीं उठा है कि आखिर indonesia में इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार वास्तविक में कैसे हुआ। और इसका असर वहां के लोगों पर कैसे पड़ा।
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