Wednesday, February 5, 2025
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Gujarat uniform civil code: गुजरात में समान नागरिक संहिता (UCC) की तैयारी, समिति का हुआ गठन

Gujarat uniform civil code: उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस संहिता को लागू करने के लिए गुजरात सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई कर रही हैं। इस समिति को 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसके आधार पर राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी।

गुजरात में UCC की घोषणा

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने यह घोषणा की कि समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने और उसे लागू करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस समिति में कुल पाँच सदस्य होंगे, जो राज्य में UCC की आवश्यकता और संभावित प्रभावों का अध्ययन करेंगे।

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने इसे ऐतिहासिक निर्णय करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जो वादे करती है, उन्हें पूरा भी करती है। उन्होंने धारा 370, एक देश एक चुनाव, तीन तलाक और नारी शक्ति वंदना आरक्षण जैसे फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब UCC की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

UCC क्या है?

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) एक ऐसा कानून है जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक नियम लागू करता है, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से संबंधित हों। यह संहिता विशेष रूप से विवाह, तलाक, गोद लेने, संपत्ति के उत्तराधिकार और विरासत जैसे मामलों को नियंत्रित करती है। वर्तमान में भारत में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून लागू हैं, जिनमें हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई मैरिज एक्ट आदि शामिल हैं।

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UCC का उद्देश्य इन सभी व्यक्तिगत कानूनों को एकसमान बनाकर एक साझा कानूनी ढांचा तैयार करना है, ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय मिल सके।

UCC से क्या बदलाव होंगे?

  1. विवाह और तलाक के नियम समान होंगे – वर्तमान में विवाह और तलाक के लिए धर्म-विशेष के कानून लागू हैं, लेकिन UCC के तहत सभी के लिए समान नियम होंगे।
  2. संपत्ति और उत्तराधिकार में समानता – संपत्ति के अधिकारों में पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता सुनिश्चित की जाएगी।
  3. गोद लेने और संरक्षकता के समान नियम – सभी धर्मों में गोद लेने और बच्चों की संरक्षकता से संबंधित एक समान कानून होगा।
  4. लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता – यह कानून लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करेगा और इसे सामाजिक व कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा।
  5. बहुविवाह पर रोक – UCC लागू होने के बाद किसी भी समुदाय के व्यक्ति को एक से अधिक विवाह करने की अनुमति नहीं होगी।
  6. बाल विवाह पर सख्त प्रतिबंध – समान नागरिक संहिता लागू होने से बाल विवाह पर और अधिक प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकेगी।

उत्तराखंड के बाद गुजरात में UCC

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला पहला राज्य बन चुका है। उत्तराखंड में लागू UCC अधिनियम, 2024 के तहत अब बहुविवाह और बाल विवाह पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। यह कानून विवाह, तलाक, विरासत और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे पहलुओं को एक समान नियमों के तहत नियंत्रित करता है। उत्तराखंड सरकार के इस फैसले के बाद अन्य राज्यों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं, जिनमें गुजरात प्रमुख रूप से शामिल है।

UCC के समर्थन और विरोध के तर्क

समर्थन में तर्क:

  • यह संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत एक समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम है।
  • इससे सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित होंगे और लैंगिक भेदभाव खत्म होगा।
  • यह एक न्यायसंगत और आधुनिक समाज की स्थापना में मदद करेगा।

विरोध में तर्क:

  • कुछ समुदाय इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात मानते हैं।
  • विविधता वाले देश में अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों को एकसमान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • इसके क्रियान्वयन को लेकर कानूनी और सामाजिक चुनौतियां सामने आ सकती हैं।

गुजरात में समान नागरिक संहिता को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह राज्य की कानूनी संरचना में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। अगर यह सफलतापूर्वक लागू होता है, तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। हालाँकि, इस कानून के प्रभाव और क्रियान्वयन को लेकर समाज में बहस जारी है। आने वाले दिनों में गुजरात सरकार की समिति की रिपोर्ट और उसके आधार पर लिए गए निर्णय पर देशभर की नजरें टिकी रहेंगी।

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